मंच पर बोलने की कला – How to Deal Stage Fear in Hindi
दोस्तों.. मंच पर बोलने की कला यूँ तो बहुत ही दिलचस्प है लेकिन मंच पर बोलने के लिए भी हुनर की ज़रूरत होती है जो की हर किसी में नहीं होती है। मंच पर बोलना हर कोई चाहता है लेकिन मंच पर बोलने की कुछ ऐसी कला होती है जिसके बारे में आपको जानना बहुत ज़रूरी है।
मंच पर बोलने के लिए बहुत अधिक पढाई लिखाई की ज़रूरत नहीं होती बल्कि इसके लिए बोलने की कला और जज़्बा हमारे दिल से पैदा होता है। मंच पर बोलने की कला में केवल बोलना ही नहीं आना चाहिए बल्कि इसके लिए आपके पास शब्दों का ज्ञान भी होना चाहिए।
तो दोस्तों मंच पर बोलना इतना मुश्किल नहीं होता जितना हम सोच लेते है बस इसके आपके पास भरपूर ज्ञान होना चाहिए और आपको किस विषय पर बोलना ज़्यादा पसंद है बस उस विषय का ज्ञान होना चाहिए ।
सबसे अच्छी बात तब होती है जब आप बचपन से मंच पर बोलने के शौकीन रहे हो इससे आपकी कला और भी निखर जाती है और आपको नए नए मंच पर बोलने का अवसर भी मिलता है। बस मंच पर भाषण देते समय आपको बहुत सी ऐसी बातो पर ध्यान रखना चाहिए की आपकी इस कला से वहां मौजूद सभी श्रोता आपके भाषण को अंत तक सुने।
क्या होता है मंच पर बोलने से ?
दोस्तों मंच पर बोलने का मतलब केवल बोलना नहीं होता मंच पर बोलने की कला जिसे आ जाये वो प्रखर प्रवक्ता कहलाता है क्योकि उसे अपने विषय का पूरा ज्ञान होता है व वह शब्दों का बहुत सोच समझकर उपयोग करता है।
वे कभी किसी को भी अपने शब्दों से आहत नहीं करते वे तो दुनिया को अपने ज्ञान से प्रेरित करते है। लेकिन क्या आप जानते है की वे मंच पर क्यों बोलते है ? क्या होता है जब वे मंच पर बोलते है ?
दरअसल बोलना एक ऐसी कला जिसकी मदद से लोगो तक ऐसी जानकारी पहुंचाई जा सकती है जिसके ज़रिये लोगो के जीने के व सोचने के तरीके बदल सकते है। बड़े बड़े प्रवक्ता आज बड़े बड़े मंच पर बहुत से विषय पर भाषण देते है जिसे सुनने के लिए भारी संख्या में भीड़ इकट्ठी होती है और उनकी गई बातो को अपने जीवन में अमल भी करते है।
वे केवल पैसा कमाने मंच पर आकर नहीं बोलते, वे ऐसे प्रवक्ता होते है जो बहुत से निराश लोगो को अपने भाषण के द्वारा जागरूक करते है व उनके जीवन को अपने ऊर्जावान व सकारात्मक भाषण से हमें नई राह दिखाते है।
मंच पर बोलने की कला को निखारे :
दोस्तों यदि आप भी मंच पर बोलने के लिए उत्सुक है और प्रवक्ताओं प्रभावित है आपको थोड़ी मेहनत तो करनी होगी इसके लिए आपको ज़्यादा कुछ करने की ज़रूरत नहीं है। फिर देखिये आपके पास मंच पर बोलने की ऐसी कला होगी के श्रोताओं की भीड़ आप रोक नहीं पाओगे।
शब्दों से भी दोस्ती करे : दोस्तों क्या आपने कभी सुना है की ये शब्द ही है जो हमें किसी के दिल में जगह भी दे सकते है और दिल से उतार भी सकते है इसलिए जब किसी से बात करे या कही बोलने का अवसर मिले तो सबसे पहले शब्दों पर गौर ज़रूर करियेगा।
जी हां दोस्तों शब्दों का ज्ञान प्राप्त करना ही भाषण सीखने का पहला सिद्धांत है यदि आपको शब्दों ज्ञान नहीं होगा तो याद रहे मंच पर आपका प्रदर्शन इतना ज़्यादा प्रभावित नहीं होगा । इसलिए अपने शब्दों को भी निखारे व उन्हें अपने जुबां पर मीठी मिश्री की तरह उपयोग करे।
विषय का ज्ञान प्राप्त करे : यदि आप इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हो तो जिस भी विषय पर आप बोलना चाहते हो उस विषय पर जमकर शोध करे।
लोगो से वार्तालाप करे व उन्हें जाने : अपने बोलने की कला को और ज़्यादा निखारने के लिए लोगो से बातचीत करे और जानने की कोशिश करे की आजकल लोग किन किन समस्याओं से जूझ रहे है।
भाषण में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले : आपके आस पास किसी भी समारोह में यदि आपको मंच पर बोलने का मौका मिले तो आपको उसमे हिस्सा लेना चाहिए। इससे आपका आत्मविश्वास और भी मज़बूत होगा और आप किसी भी मंच पर बोलने के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे।
प्रयास करे व अपनी कला को बहार निकाले : आपको जब भी समय मिले तो बड़े बड़े प्रवक्ताओं की videos देखे व उनके बारे पढ़े की किस तरह उन्होंने Success का मुकाम पाया व जाने की कोशिश करे की मंच पर बोलने की कला को उन्होंने कैसे निखारा की श्रोता उनसे प्रेरणा लेते है।
इसका मतलब ये बिलकुल भी नहीं है की आपको बोलना नहीं आता मेरा मतलब केवल आपको ये बताना है की उन तथ्यों को जानने का प्रयास करे जिससे आपके बोलने की कला बहार आ सके और श्रोताओं के बीच अच्छा प्रदर्शन कर सके।
तो ये था हमारा आज का आर्टिकल मंच पर बोलने की कला.. उम्मीद है की आपको हमारा ये लेख भी ज़रूर पसंद आएगा। हमारा उद्देश्य केवल आपको सही जानकारी देना और आगे भी हम इसी तरह के आर्टिकल की पेशकश करते रहेंगे और आपसे जुड़े रहेंगे। अपनी comment नीचे comment box देना ना भूले।…. धन्यवाद ।….
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kumar says
सुरेन्द्र जी स्कूल टाइम की याद दिला दी आपने. एक टाइम था जब में किसी से बोलने में हिचक महसूस करता था लेकिन जब से स्टेज प्रग्राम attend करने शुरू किये उसके बाद ही बोलने में काफी सुधार आ गया. धन्यवाद
Pawan Singh says
प्रिय सुरेन्द्र जी, आपने इस पोस्ट में जो भी बातें बतायीं हैं वो सभी बिलकुल सच हैं मेरा मानना है की मंच पर बोलने के लिये सबसे ज्यादा जरुरी है उस विषय का ज्ञान और अपने डर पर जय. अगर अन्दर संकोच और झिझक है तो आप कभी भी एक अच्छे वक्ता नहीं बन सकते हैं मार्गदर्शन के लिये आभार
Chaya says
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