शारीरिक आकर्षण के 5 नुकसान 5 Harm Loss Of Physical Attraction In Hindi
शारीरिक आकर्षण को प्रेम न समझना 5 Harm Loss Of Physical Attraction In Hindi
किशोरावस्था हो या युवावस्था व्यक्ति जब भी कामुक बातें सोचता है तो उसे उस ओर आकर्षण अनुभव होने लगता है जो कि अनुचित है क्योंकि यह शरीर व मन की कोई आवश्यकता अथवा नैसर्गिक माँग नहीं है बल्कि व्यक्ति द्वारा जान-बूझकर ‘की जाने वाली’ इच्छा है, न कि ‘होने वाली’ इच्छा। भूख-प्यास को प्राकृतिक कह सकते हैं क्योंकि शरीर में भोजन व पानी की कमी की पूर्ति के लिये ये अपने आप उत्पन्न होती हैं, मूलभूत आवश्यकता पूर्ति व अनजाने में भी शरीर के निर्वाह के लिये।
इस दिशा में जागृति के लिये पापों की जड़ कामेच्छा को मिटाने के 21 उपाय व किशोरावस्था में की जाने वाली 5 लैंगिक ग़लतियाँ नामक आर्टिकल को पढ़ा जा सकता है।
इस वास्तविकता को समझ लेना भी जरुरी है कि शारीरिक आकर्षक को स्वाभाविक अथवा सहज न समझें। काम विषयक बातों को व्यक्ति सोचता है इसीलिये उसे इसमें आकर्षण अनुभव होता है, वास्तव में यह कोई आवश्यकता अथवा नैसर्गिक स्थिति नहीं है. इस सन्दर्भ में ‘विवाह करें कि नहीं’ नामक आलेख भी पढ़ा जा सकता है।
5 Harm Loss Of Physical Attraction In Hindi
शारीरिक आकर्षण है या प्रेम ? यह कैसे परखे (Love Or Lust)
1. यदि उस लड़की अथवा लड़के को पता चले कि आप नपुसक हैं और आप यौनसम्बन्ध बना पाने में किसी प्रकार असमर्थ हैं तो भी क्या वह आपसे ‘प्रेम’ का दावा करेगी या करेगा ? अथवा विवाह के लिये तैयार हो जायेगी / जायेगा ?
2. एक-दूसरे के सम्पर्क में आने का आधार व यह तथाकथित रिश्ता विकसित होने और आगे बढ़ने का आधार अथवा प्रभावी कारक क्या है ? आपका, उसका वेतन, रूपरंग, तथाकथित टाइमपास, युवावस्था, बहुत-सी व अच्छी समान रुचियाँ, आध्यात्मिक लगाव, मिलकर कुछ सार्थक करने की प्रतिबद्धता, युवावस्था तक के कारक मोह की ओर ले जाते हैं तथा बाद के कारक शायद थोड़ी सही दिशा में ले जा पायें।
उसको पता चले कि आप 10 लाख के वार्षिक पैकेज वाले नहीं बल्कि 5 हज़ार रुपयों के मासिक वेतन वाले हैं तो उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी? आपको पता चले कि उसके काले बाल कलर का कमाल हैं अथवा चिकनी त्वचा इंजेक्शन के दम पर पायी गयी है तो भी क्या आप अभी अथवा पहले जैसा ‘मुझे तुमसे प्यार है’ का दावा करेंगे ?
आप यह पढ़े – शादी लवमैरिज करनी चाहिए या अरैन्ज मैरिज ? व विवाहपूर्व काउन्स्लिंग द्वारा 20 समस्याओं से कैसे बचें नामक आलेख पढ़े जा सकते हैं।
3. किसी भी प्रकार का मोह एवं शारीरिक आकर्षण नकारात्मक दिशाओं में ले जाता है, मन व इन्द्रियों को व्यर्थ भटकाता है जबकि किसी भी प्रकार का प्रेम सात्त्विक होता है, निःस्वार्थ होता है, उसमें संसारी आकर्षण जैसा भाव नहीं होता, उसमें भौतिकता की मिलावट नहीं होती, उसमें सार्थकता होती है, प्रभु से मिलाने अथवा अन्य कोई सकारात्मक गतिविधि व पुनीत प्रयोजन अथवा सफल होता है।
शारीरिक आकर्षण के नुकसान Loss Of Physical Attraction
1. शारीरिक आकर्षण –
यदि शारीरिक आकर्षण में पड़कर इसे प्रेम समझकर विवाह कर लिया तो कुछ महीने बाद अथवा शीघ्र ही एक-दूसरे में रुचि कम हो जायेगी, परस्त्रीगमन, परपुरुषगमन की आशंका सो अलग। फिर पूरा जीवन एक-दूसरे को झेलने एवं जीवनसाथी के लिये गले की हड्डी बनने में बीत जाता है क्योंकि प्रेम तो कभी था तक नहीं एवं अब तो जो नश्वर आकर्षण था वह भी घटेगा ही।
2. विवाहपूर्व सम्बन्ध –
इसके अलग नुकसान हैं, निरोध वास्तव में सुरक्षा का आश्वासन नहीं होता, निरोध के अतिरिक्त भी बात करें तो ऐसे सम्बन्ध एक बार बनाये जायें अथवा कई बार बनाये गये हों, हानियों की सूची बड़ी विस्तृत है, विस्तार के लिये ‘लिव-इन रिलेशनशिप से 7 प्रकार के 12 घाटे’ नामक आलेख पढ़ा जा सकता है।
आजकल वायस और वीडियो रिकार्ड (Voice & Video Record) करना एवं ऐसा करके Blackmail करना अत्यधिक आसान हो चला है। व्यर्थ के ‘काम’ में रुचि लेने से पहले यह सब भी विचार लें। रुचि न लें। आप यह भी पढ़ सकते है – सेक्स के घाटे नामक आलेख भी पढ़ा जा सकता है।
3. समय व ध्यान का नाश –
शारीरिक आकर्षण अकेला हो अथवा इसे प्रेम भी समझ लिया गया हो किसी भी स्थिति में ध्यान व समय का नाश बहुत हो जाता है; जीवन के इन दो अनमोल संसाधनों (ध्यान व समय) को सार्थक व सकारात्मक विषयों में लगाया जा सकता था, देखें – जीवन की सार्थकता के 41 मार्ग । कर्म अथवा मन किसी भी रूप में लैंगिक बातों में रक्खा क्या है ? कुछ नहीं, उपरोक्त हानियों के निमन्त्रण के साथ अपनी विविध ऊर्जाओं का नाश भी।
शारीरिक आकर्षण क्यों होता है ?
जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि वास्तव में यह नैसर्गिक नहीं होता, व्यक्ति स्वयं इस दिशामें सोचता है एवं सोचता रहता है एवं दूसरों को भी बातें करते सुनता है तो उसके मन में भी यह चाह वह इरादतन रूप से पैदा करता है, यह अपने आप पैदा नहीं होती, की जाती है। शारीरिक आकर्षण अथवा यौनाकर्षण इत्यादि के कई कारण व कुप्रेरक देखे गये हैं जिनका विवरण इस प्रकार है.
1. व्यक्ति के सामाजिक पूर्वाग्रह एवं कुसंगतियाँ –
कि सब सेक्स करते हैं अथवा तू बड़ा हो गया है अथवा तेरे शरीर की यह ज़रूरत है इत्यादि बातें सुन-पढ़कर व्यक्ति का मन भ्रमित हो जाता है एवं ‘सेक्स’ को वह ‘अपनी ज़रूरत’ समझने लगता है जिसके लिये किसी की ओर आकर्षित होकर अथवा किसी को आकर्षित करके उस मनगढ़ंत ज़रूरत (वास्तव में चाहत) को पूरी करने के लिये ज़रिया (जैसे कि स्त्रीरूपी ज़रिया) ढूँढता है। वह भूल जाता है कि परशुराम व हनुमान बिना इन सबमें पड़े परिपूर्ण एवं सार्थक जीवनयुक्त हैं।
2. शारीरिक सौन्दर्य –
विशेषतया विपरीत लिंगी के तथाकथित रूप-लावण्य अथवा यौवन् को देखकर व्यक्ति उस ओर जबरन सुख खोजने की फ़िराक में रहता है, उसे समझ ही नहीं आता कि यह सब व्यर्थ है, ग़लत वीडियो व अन्य ग़लत स्रोतों से उनके मन में नारीदेह ‘उपभोग-सामग्री’ के रूप में जम चुका होता है. ‘आफ़लाइन सुखी रहने के सरल उपाय’ नामक आलेख पढ़ा जा सकता है।
3. उपलब्धता –
तथाकथित दैहिक सुख के लिये यदि कोई व्यक्ति प्रस्ताव भेजे अथवा पहल कर दे तो व्यक्ति को इसमें अपनी दबी इच्छा को पूर्ण करने का अवसर नज़र आने लगता है; वह उचित-अनुचित भूलकर अपनी कामवासना को ‘नैसर्गिक’ अथवा अपना ‘जन्मसिद्ध अधिकार’ तक कहने लगे तो आपको कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि कामान्ध व्यक्ति सत्य को नहीं देख पाता।
4. खाली दिमाग –
बैठे-बैठे अथवा चलते-फिरते भी व्यक्ति को भगवन्नामोच्चारण व राम नाम लेखन इत्यादि शुभ कर्म सदैव करते रहने चाहिए, अन्यथा मोबाइल तो कभी फ़ालतू बैठे व अधकुचली इच्छाओं को हवा देने वाले तथाकथित घनिष्ट अथवा प्रिय साथियों से बात करने को व्यक्ति कुप्रेरित हो सकता है क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर, शारीरिक परिश्रम न करने, बैठे रहने से भी ग़लत विचारों को बढ़ावा मिल सकता है.
खरपतवार उखाड़ें, बागवानी करें, रस्सी कूदें, साईकल चलायें, शरीर को थकायें तो मन को व्यर्थ के विषय सोचने से काफ़ी सीमा तक रोका जा सकता है। मन व इन्द्रियों को उचित दिशाओं में न लगाने अथवा व्यर्थ रहने से उनके भटकने की आशंका बड़ी बलवती हो जाती है।
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