सपनों मस्सों तिलों के सम्भावित संकेत Sapno Til Masse Ka Matlab Aur Sanket
Sapno Til Masse Ka Matlab Aur Sanket
स्वपन मस्से व तिल को देखकर लोगों के मन में कई तरह के विचार आते हैं कि कहीं जीवन की किसी घटना से इनका सम्बन्ध तो नहीं, ऐसी ही कुछ बातों के विश्लेषण के प्रयास यहाँ किये जा रहे हैं।
यहाँ अंधविश्वासों से दूर इन चिकित्सात्मक व मानसिक इत्यादि संकेतों का विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है। स्वपन स्वप्नों के अनेक कारण पाये गये हैं किन्तु व्यक्ति के अतीत व उसकी मानसिकता का विश्लेषण किये बिना एकदम से किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सकता.
Sapno Til Masse Ka Matlab Aur Sanket
सपने (Dreams)
1. पूर्व जन्मों से संचित वे स्मृतियाँ जो सचेत व जागृत मन में स्मरण नहीं रहतीं परन्तु अवचेतन में व्यक्त हो सकती हैं तथा निद्रा में वे सक्रिय हो सकती हैं।
2. भावी घटना का पूर्वानुमान – कुछ स्वप्न कुछ घण्टों अथवा दिनों बाद होने वाली किसी घटना से सम्बन्धित हो सकते हैं; इनमें घबराने अथवा कोई आग्रह बना लेने की नहीं बल्कि सतर्कता की आवश्यकता होती है।
3. अतृप्त इच्छाओं का जाल – व्यक्ति उठते-बैठते, चलते-फिरते विभिन्न संसारी कामनाओं के जाल में जकड़ा रहता है. परिजनों का मोह, धनप्राप्ति की लालसा, स्त्री-आकर्षण इत्यादि जिन्हें यदि वह वास्तविक जीवन में पूर्ण होते न देखे तो वे अतृप्त आकांक्षाएँ सपने में व्यक्त हो सकती हैं. इसका तात्पर्य यह नहीं कि उन नश्वर इच्छाओं को पूर्ण कर लिया जाये बल्कि इसका सही अर्थ यह है कि वास्तव में उन्हें जड़-मूल से उखाड़ फेंका जाये।
तिल (Moles)
तिलों को सौन्दर्य बढ़ाले वाले Beauty – Spots कहा जाता रहा है। त्वचा में मिलेनिन नामक एक वर्णक (पिग्मेण्ट) होता है जिससे मानव-त्वचा को चाय-काफ़ी या गेहुँआ जैसा अपना विशिष्ट रंग प्राप्त होता है।
त्वचा के किसी भाग विशेष में मिलेनिन अधिक हो जाने से तिल बन सकते हैं। शरीर में 10 से 40 तिल होने को सामान्य माना जा सकता है। जिनकी त्वचा गौर वर्ण होती है उनमें तिल होने की अधिक सम्भावना रहती है। लगभग 95 प्रतिशत प्रकरणों में तिल हानिरहित रहते हैं, मात्र कुछ व्यक्तियों में ये कैन्सरस हो सकते हैं।
तिलों के आकार, रंग, बनावट में कोई परिवर्तन आने पर या यदि कैन्सर का पारिवारिक अतीत रहा है तो त्वचा रोग विशेषज्ञ से परामर्श लिया जा सकता है कि मेलिग्नेण्ट मिलेनोमा नामक त्वचा-कैंसर के आसार तो नहीं।
तिल में घाव, सूजन, तरल का रिसाव अथवा खुजली होने की स्थिति में उपचार आवश्यक हो जाता है. तिल छोटा-सा हो तो शल्य चिकित्सक बिना किसी चीड़-फाड़, बिना टाँके के इसे काटकर निकाल सकता है। तिल गहरा अथवा जटिल हो तो एक छोटी-सी शल्यक्रिया द्वारा इसे निकलवाया जा सकता है जिसमें टाँका लगाना जरूरी होता है।
मस्से (Warts)
ये शरीर की सतह पर कहीं खुरदुरी वृद्धि के रूप में दिखते हैं। ठोस गाँठ अथवा छोटी नर्म संरचना के समान भी लग सकते हैं। मस्से क्यों होते हैं ? ह्यूमन पॅपिलोमावायरस कुल के विषाणुओं द्वारा मानवों को मस्से हो जाते हैं। दुर्बल प्रतिरक्षा-तन्त्र वाले व्यक्तियों को मस्से होने की सम्भावना अधिक होती है।
मस्से कैसे-कैसे ? मस्सों की बनावट शरीर पर उनकी स्थिति व त्वचा की मोटाई पर निर्भर है। कुछ मस्से हाथों में तो कुछ पैरों में होते हैं।
मस्से हटाने हों तो ? वैसे हटाने की आवश्यकता नहीं है परन्तु यदि उनमें दर्द, खुजली होती हो या दिनचर्या के कार्यों में व्यवधान आने लगा हो अथवा उसका रूप रंग बदल रहा हो अथवा शरीर के अन्य भागों में फैले तो शल्य चिकित्सा द्वारा उन्हें निकलवाया जा सकता है।
वैसे किशोरावस्था अथवा बाल्यावस्था में हुए मस्से हो सकता है कि 1 से पाँच वर्ष में अपने आप ठीक हो जायें परन्तु रक्तस्राव जैसी स्थिति आ रही हो तो इन्हें निकलवाना पड़ सकता है। मस्से हटाने के लिये लेज़र बीम के प्रयोग द्वारा लेज़र ट्रीटमेण्ट भी सम्भव परन्तु शल्य चिकित्सक ही बेहतर बता पायेगा एवं शल्यक्रिया से पूरा मस्सा काटना अधिक उपयोगी।
शल्यक्रिया के अतिरिक्त अन्य उपाय – वैसे तो शल्यक्रिया ही सुरक्षित व सबसे प्रभावी उपाय है परन्तु फिर भी लोग व चिकित्सक निम्नांकित अन्य उपायों को अपनाते देखे जाते हैं..
सेलाइसेलिक अम्ल
कई आवर-द-काउण्टर क्रीम्स, जेल, पैण्ट्स व मेडिकेटेड बैण्ड-एैड्स में सेलाइसेलिक अम्ल होता है। इसे चेहरे पर प्रयोग न करें तथा अन्य भागों पर भी मस्से के चारों ओर की त्वचा को किसी पर्त (जैसे पेट्रोलियम जेली अथवा कोर्न प्लास्टर) द्वारा सुरक्षित करके केवल मस्से पर इसका प्रयोग करें,
अन्यथा स्वस्थ कोशिकाएँ नष्ट हो जायेंगी। इस प्रयोग से पहले मस्से की त्वचा पर कोई गीली रूई रखकर वहाँ की सतह को नर्म कर लें। तीन माह तक ऐसा करने के बाद यदि वहाँ घाव जैसा लगने लगे तब उपचार रोक दिया जाता है।
क्रायोथिरेपी
एकदम ठण्डे (ज़्यादातर नाइट्रोजन के रूप में) एक तरल को मस्से पर छिड़क दिया जाता है ताकि कोशिकाएं नष्ट हो जायें। एक फफोला जैसा बनने लगता है जो कुछ सप्ताहों में झड़ जाता है। दक्ष व्यक्ति से ही यह करायें, यदि मस्सा बड़ा है तो अनेक बार स्थानीय एनस्थॅशिया जरुरी हो सकता है।
मस्से से सावधानियाँ
*. मस्से को घिसें, रगड़ें अथवा दबाये नहीं, अन्य व्यक्तियों के मस्सों को तो स्पर्श भी नहीं करना है, अपने मस्से को भी यदि स्पर्श कर लिया हो तो हाथ ठीक से धोयें.
*. मस्से हों तो स्विमिंग पूल न जायें, यदि जायें तो सूट ठीक से पहनें ताकि औरों तक विषाणु पहुँचने की आशंका कुछ कम हो.
*. वैसे माँस विक्रेताओं के हाथों में मस्से अधिक पाये गये हैं.
*. स्वच्छता-सम्बन्धी अन्य सामान्य सावधानियाँ भी बरतें, जैसे कि अपना टावेल अलग रखें इत्यादि।
तो दोस्तों यह लेख था स्वपन मस्सों तिलों के संकेत, Sapno Til Masse Ka Matlab Aur Sanket,sapno ka matlb, masse ka matlb. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।
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