परिश्रम का महत्त्व व इसके फायदे Hard Work Essay Importance In Hindi
Hard Work Essay In Hindi
परिश्रम की परिभाषा ? (Hard work meaning)
कुछ पाने की ओर लगातार प्रयास करने को परिश्रम कहा जाता है। आलस्य वर्तमान को उठापटक से चाहे बचा ले परन्तु भविष्य दाँव पर लगा जाता है, वहीं दूसरी ओर श्रम करने से वर्तमान भले कठिन लगे परन्तु भविष्य कुछ सुरक्षित तो हो ही जाता है।
पुरातन साहित्य में कहा गया है कि आलस्यैव मनुष्यस्य शरीरस्थो महारिपु अर्थात् आलस्य अवश्यमेव मानव का महाशत्रु है। दूसरों से होड़ मचाने अथवा व्यर्थ या नकारात्मक दिशा में दिमाग लड़ाने या औचित्य विहीन उठापटक वाले परिश्रम के बजाय सार्थक परिश्रम पर जोर दें. परिश्रम से 5 लाभों के बाद परिश्रम के पाँच प्रकारों के भी बारे में पढ़ें।
Importance of Hard Work Essay In Hindi
परिश्रम करने के फायदे (Benefit of Hard Work)
1. मेहनत करने की आदत – बैठे-बिठाये सम्पत्ति भोगने के बजाय स्वयं उसे अर्जित करना ठीक रहता है. कहा भी जा सकता है कि धर्मपूर्वक धन प्राप्त करने हेतु परिश्रम करना आर्थिक पुरुषार्थ है तथा शक्ति स्वतन्त्रता की जड़ है, परिश्रम धन-सम्पत्ति की जड़ है एवं न्याय सुराज्य की जड़ है एवं संगठन महा शक्ति की जड़ है।
2. थकान दूर करना – लोगों को लगता है कि परिश्रम से थकान होती है जबकि थकान तो बैठे-लेटे भी हो सकती है जिसमें चैन की नींद भी छिन जाती है. पसीना बहाकर आओ तो चैन की नींद आयेगी व ताज़गी से भरा अनुभव होगा। सुना ही होगा कि आराम हराम है।
3. अभ्यास बना रहता है – चींटी से परिश्रम करना सीखा जा सकता है. पहले के लोग एवं अभी भी सुदूर गाँवों में अल-सुबह उठकर खेत-खलिहान में कार्य करने वाले किसान एक दिन में जितना श्रम कर लेते होंगे उतना हमें एक सप्ताह में भी कठिन लग सकता है क्योंकि हमारा अभ्यास नहीं रहा. अभ्यास करें, आदत डालें. ब्रह्म मुहूर्त में उठें तो आपको पूरी दिनचर्या सहज लगने लगेगी, 3-4 दिन में ब्रह्म-मुहूर्त जागरण आपको भी सामान्य बात लगे लगेगी।
4. शारीरिक सक्रियता – कुछ या कई व्यक्तियों को लगता होगा कि दिनभर मैं वैसे ही कितना Hard Work कर लेती लेता हूँ परन्तु हम-आपको समझना होगा कि जिम जैसे बने-बनाये ढर्रे में फ़ायदा कम हानियाँ अधिक हैं.
इसलिये नैसर्गिक रूप से विविधता भरे कार्य करें, तोंद व मोटापा घटाना हो अथवा नहीं फिर भी पैदल चलें, साईकिल चलायें, रस्सी कूदें तो बेहतर रहेगा। ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलने से पैरों सहित पूरे शरीर की माँसपेशियों व अस्थियों सहित रक्त-संचार को भी लाभ पहुँचता है।
5. मानसिक सफाई – खाली दिमाग शैतान का घर यह कहावत सबने सुनी होगी. ध्यान रहे व्यक्ति थोड़ा-सा भी बैठ जाये तो अपना मुख व मस्तिष्क मोबाइल की निरर्थकताओं में खपा देता है.
नर्म गद्दे, थकान, आलस्य के घातक मिश्रण से उसे नींद आ जाती है. इस प्रकार यदि व्यक्ति शारीरिक रूप से सक्रियता पूर्वक श्रम करता रहे तो मन को भी साफ रखने में बड़ी सहायता हो जायेगी। कार्यसंलग्न या थके शरीर का मन तुलनात्मक रूप से स्वच्छ रहने की सम्भावना रहती है।
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परिश्रम के पाँच प्रकार (Types of Hard Work)
1. अपनी आजीविका परिश्रम पूर्वक व अच्छे-से निभायें – अपने साथ-साथ अपने अधीनस्थों एवं आवश्यकतानुसार अपने सहकर्मियों का भी हाथ बँटाया करें. मैं क्यों दूसरे का कार्य करूँ, मेरा कोई करता है क्या मेरा क्या ? जैसे भाव न आने दें।
2. बागवानी – खरपतवारों को उखाड़कर उपयोगी पौधे लगाते रहें, यहाँ-वहाँ नियमित पानी सींचते रहें. दीवार जैसे अनुपयुक्त स्थानों पर उग आये पेड़ों को अच्छे-से उखाड़कर उपयुक्त स्थान पर लगायें. सीमेण्ट-क्रांक्रीट से जिन पेड़ों का दम घोंटा जा रहा हो उन्हें बचायें व उनका घेरा चैड़ा करें।
3. स्वच्छता – किसी मिशन से जुड़ें हों अथवा नहीं लेकिन इतना याद रहे कि कम से कम अपने आस-पास साफ़-सफ़ाई रखना हम सबका सदियों पुराना दायित्व है. आज तो लोग दूर-दूर तक सफाई करने निकल जाते हैं, यह तर्क नहीं रखते कि हमने थोड़े न मचाया है जो हम साफ़ करने जायें।
काँच व पालिथीन इत्यादि के छोटे-छोटे टुकड़े पशु-पक्षियों के लिये प्राण घातक हो सकते हैं उन्हें तो विशेष रूप से खोज-खोजकर बीनें, चाहें तो चूड़ियों व प्लास्टिक के बारीक-बारीक टुकड़ों को उठाने के लिये एक छोटी-सी चिमटी अलग से रख सकते हैं।
4. स्वावलम्बी सुखी का भाव समझें – बात-बात पर दूसरों से चाय-काफ़ी हाथ में माँगने, झाँड़ू-पौंछे के लिये भी दूसरों की बाट जोहने एवं अपने बर्तन-कपड़े भी स्वयं न धोने की पुरुष-प्रधान जैसी मानसिकता न तो पुरुषों के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिये अच्छी है, न ही स्त्रियों के।
5. मानवीय धर्मकार्य – पशु-पक्षियों की सेवा, पेड़ों से तार-कील हटाना इत्यादि कार्य ढूँढ-ढूँढकर करें, इनके लिये अपने पास सामग्रियों ( जैसे खुरपी, प्लास इत्यादि ) की एक बोरी व झोली अलग से गाड़ी में भी भरकर रखें।
मिट्टी के दो सकोरे ख़रीदकर आज ही घर ले आयें एवं प्रत्येक को प्रतिदिन धोयें एवं एक में पेय जल प्रतिदिन रखें तथा किराना-व्यवसायी से ” सभी प्रकार के साबुत देसी अनाजों का एक मिश्रण तैयार करके दे दीजिए ” कहकर इस मिश्रण को प्रतिदिन दूसरे सकोरे में रखें।
गिलहरियों व पक्षियों की सेवा से आपका परिश्रम भी सफल सिद्ध होगा एवं उन्हें दाने चुगते व आपका रखा पानी पीते देखकर आपको जो अमर अनुभूति होगी सो अलग। निःस्वार्थ भाव से यह सब करें। अपने सामाजिक सरोकारों का भी ख़्याल रखें। यह सब हम सबका उत्तरदायित्व है।
#Conclusion –
शास्त्रों में कहा गया है कि चरैवेति, चरैवेति अर्थात् चलते रहो, चलते रहो. परिश्रम करना चींटी से सीखा जा सकता है जो देखा जाये तो अपनी क्षमता से अधिक श्रम कर लेती है, मनुष्यों जैसे बहाने नहीं बनाती।
परिश्रम शीलता हो तो व्यक्ति निर्धन अथवा आपदा ग्रस्त कैसे रह सकता है, वह किसी न किसी प्रकार संघर्ष करते हुए कोई-न-कोई मार्ग निकाल ही लेगा, बैठे-बैठे भाग्य को नहीं कोसेगा। अपना प्रारब्ध स्वयं बनायेगा।
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Suchit says
सर ,आपने बिल्कुल सही कहा .परिश्रम ही जीवन है ,नहीं तो हमारे जीने का कोई मतलब नहीं है ।
Divesh Biloniya says
Thank you so much sir for your important advice aage bhi kuch puchna hoga to mai aapse hi puch lunga☺️🙏
Divesh Biloniya says
Hello sir har baat ki tarah behtareen likha hai aapne
Sir mene aapke kahne par blog ka look change’ kiya hai ab ek baar check kijiye naa please par kab se change kiya hua mai tab se meri income kam ho rahi hai….Sir agar ye aacha nahi hai to aap apna theme de dijiye naa mujhe mere paas abhi to paise nahi hai or mai janata hu free mai kich nahi milta isliye mai aapke liye article likh dunga jis par aao chaaho aage aapki marji hai sir….or ek baat or kahni thi mene itne blogger dekhe hai sabko contect bji kiya hu par koi sahi baat nahi batata naa hi help karta hai par aap bahut aache hai thank you sir please replay 🙏