बच्चा गोद लेने के 15 कारण और फायदे Child Adoption Reason Benefit Harm In Hindi
बच्चा गोद क्यों लें ? 8 सावधानियाँ Child Adoption Reason Benefit Harm In Hindi
दोस्तों, बच्चा गोद लेने की चाह आज से ही नहीं बल्कि बहुत पहले से ही चली आ रही है और कई अलग अलग रीज़न के कारण लोग बच्चे को गोद लेते है. ऐसा नहीं है कि पति-पत्नी में किसी को बाँझपन होने अथवा अन्य किसी विवशतापूर्ण परिस्थिति में ही बच्चे गोद लिये जायें.
वास्तव में सर्वश्रेष्ठ स्थिति तो यह है कि सन्तानोत्पत्ति-समर्थ होते व सब कुछ सामान्य होते हुए भी बच्चे गोद लिये जायें, सहर्ष उन्हें पाला-पोसा एवं देश के लिये एक जवाददेह नागरिक बनाया जाये. यहाँ उन 15 कारणों व लाभों को सूचीबद्ध किया जा रहा है कि बच्चा क्यों गोद लें तथा अन्त में 8 सावधानियाँ भी प्रदर्शित की गयी हैं.
Child Adoption Reason Benefit Harm In Hindi
बच्चा गोद लेने के 15 कारण (Bachcha God Lene Ke Kaaran)
1. पति या पत्नी में बाँझपन
2. पत्नी के गर्भधारण से शारीरिक जोख़िम जैसे कि खून की कमी इत्यादि के कारण
3. आनुवंशिक रोगी या वाहक पति-पत्नी (हममें से अधिकांश लोग अनेक आनुवंशिक रोगों के वाहक रोगी हो सकते हैं जिनके लिये कुछ जाँचें उपलग्ब्ध हैं परन्तु फिर भी जोख़िम तो रहेगा यदि बच्चा किसी रोग से ग्रसित हुआ या गर्भ में कोई जन्मजात विकार हो गया तो उसका भविष्य, आर्थिक स्थिति इत्यादि ? इससे अच्छा तो बच्चा गोद लो निश्चिंत रहो।
4. सिंगल पेरेण्ट (Single Parent) बनने की चाहत या समलिंगी जोड़ी (पुरुष-पुरुष अथवा स्त्री-स्त्री)।
5. निकट सम्बन्धी के मृत हो जाने पर उसकी सन्तान (Child) को पालना या अन्य किसी को अच्छा परिवेश सुलभ कराने की इच्छा।
6. जनसंख्या-वृद्धि पर नियन्त्रण : सात अरब से अधिक में से किसी को भी चुन लो, प्रकृति में एक नया संसाधन-उपभोगी लाने की क्या आवश्यकता ? जो है उसका जीवन सुधारो।
7. गर्भवती के व्यावसायिक भविष्य अथवा पारिवारिक भविष्य में सहायता : जैसे किसी निर्धन परिवार या अपने सहायक परिवार कर्मचारी की सन्तान को गोद लेना।
8. गर्भधारण एवं शैशवावस्था में जच्चा-बच्चा की देखरेख से बचाव : गर्भधारण स्त्री के लिये बड़ा कष्टकारी होता है, शारीरिक व मानसिक रूप से स्थायी परिवर्तन आ जाते हैं जिनमें से कई तो आजीवन साथ रहते हैं।
अभी-अभी पैदा हुए बच्चे को पालना-पोसना अपने आप में थकाऊ और बहुत श्रमपूर्ण कार्य होता है, रातों की नींद, दिन का चैन क्या-क्या नहीं छिन जाता। बच्चे अच्छे लगते हों तो ख़ुद पैदा किये बिना उसे गोद लें जिसे आप जैसों की आपात आवश्यकता है, यह सभी पक्षों के लिये परम हितकारी होगा।
9. दाम्पत्य-वियोग से बचाव : स्त्री बच्चे पैदा करती है तो उसके शरीर में सेक्स हार्मोन्स के बजाय मातृत्व-आवश्यकताएँ पूर्ण करने वाले Harmon हावी रहने लगते हैं। गर्भधारण के दौरान कई पति परनारी को खोजते पाये गये हैं, पुरुषों का ऐसा करना सही बिल्कुल नहीं है किन्तु गर्भधारण से बचाव हो जाये तो उसके मन में परस्त्री-विचार आने से थोड़ा-बहुत रोका अवश्य जा सकता है।
10. पुत्रीरत्ना की प्राप्ति : आजकल ऐसे भी कई लोग मिल जायेंगे जिनके यहाँ पुत्र हो चुका है किन्तु वे सन्तानोत्पादन-समर्थ होते हुए भी पुत्री पाने के लिये कन्या को गोद लेते हैं जो कि अत्यन्त सराहनीय है।
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11. ज़िम्मेदारी का भाव : समाज में अनाथ होने के दर्द को देखकर भी कुछ लोग किसी अनाथ बच्चे को गोद लेने की इच्छा रखते हैं। वर्तमान कोरोना-काल में तो भिक्षाटन करने वाले बच्चे और बढ़ने की सम्भावना है।
12. कुरीति-उन्मूलन : साम्प्रदायिक, नस्लीय इत्यादि भेद मिटाने अन्य सम्प्रदाय इत्यादि का बच्चा गोद लेना। कई विदेशी भारत से बच्चे गोद लेकर जाते हैं।
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14. ख़ून के जनों से मिले दुःख : सबको पता है कि स्वयं से जने बच्चे बड़़े होकर क्या करते हैं। यदि समाज के भय से आप भी ‘मेरा ख़ून हो उसमें’ चाहते हैं तो वह भी सम्भव ! गोद लेने से पहले उसकी व अपनी रक्तजाँच करा लें, आपका रक्त स्वस्थ है व उसका भी रक्त समूह आपसा है तो चिकित्सक द्वारा अपना थोड़ा-सा रक्त उसमें चढ़वा दें। रक्तवैज्ञानिकरूपेण (हिमॅटालाजिकली) हुआ वह आपका ख़ून।
15. ब्रह्मचर्य-नाश के बिना सन्तान :
यदि बच्चे पालने का मन हो तो विवाह तो क्या किसी भी प्रकार की लैंगिक क्रिया व विचार एवं वीर्य के बिना सन्तान पाली जा सकती है। वैसे तो केवल अपने जीवनसाथी से सम्बन्ध रखने वाले (परस्त्रीगमन व परपुरुषगमन न करने वाले) को भी कहीं-कहीं लगभग ब्रह्मचारी कह दिया जाता है परन्तु वास्तव में जिसकी इन्द्रियाँ कामादि राग-द्वेषों से दूर प्रभु में स्थिर हों वही सच्चा ब्रह्मचारी होता है, अर्थात् वह जो माया से परे ब्रह्म में रमण करता हो।
बच्चा गोद क्यों लें ! 8 सावधानियाँ
1. सर्वथा समर्थ होकर ही बच्चा गोद लैवें।
2. विधिवत् रूप से वैधानिक रीति में बच्चे गोद लें।
3. बच्चे को उसे ‘गोद लिया गया था’ बताना है कि नहीं यह निर्णय करना है कि नहीं आप जानें किन्तु यदि बताना है तो मानसिक व भावनात्मक तैयारियाँ रखें कि यदि उसने अपने अतीत में बारे में जानना चाहा तो आप खुलकर उसकी सहायता करेंगे.
तथा विरोधी समाज से निपटना और अच्छे से सिखायेंगे तथा यदि बच्चा बड़ा होकर यदि स्वयं ही आपसे कोई परायापन जताये तो भी आप उसके प्रति अपना स्नेह व दायित्वबोध कम नहीं होने देंगे।
4. बच्चा गोद लेते समय यथासम्भव जातिवाद, सम्प्रदायवाद इत्यादि को मन में स्थान न दें, गोद लेने के बाद इन भेदभावों का विचार भी नहीं करना है। वैसे अतीत में ऐसे अनेक उदाहरण देखे गये हैं जहाँ किसी मुस्लिम, हिन्दू ने हिन्दू, मुस्लिम बच्चे अथवा तथाकथित निम्नजाति के बच्चे को अपनाया एवं स्नेह व ज़िम्मेदारी के भाव से पालते हुए सम्मानजनक जीवन प्रदान किया।
5. बच्चा गोद लेने के सन्दर्भ में जीवनसाथी व परिवार से विचार-विमर्श कर लें, कुल मिलाकर Future में उस बच्चे के जीवन में इन सब कारणों से कोई समस्या नहीं आनी चाहिए.
Society यदि विरोध करे तो आप सँभाल लेना, घर वाले यदि तैयार न हों तो आपमें वह दृढ़ इच्छा शक्ति व समुचित प्रबन्ध अनिवार्य व स्थायी रूप से हों कि आप उस बच्चे को सुरक्षित भविष्य प्रदान कर सकें।
6. बच्चा गोद लेना आपकी इच्छा है, ‘मैंने हमने उस पर उपकार किया’ जैसा भाव कभी मन में न आने देना। उससे बिना अपेक्षाएँ किये उसका समुचित पालन-पोषण आपका उत्तरदायित्व होगा.
जिस प्रकार स्वयं के जने बच्चों को पालना। बच्चे के सामने अथवा उसकी पीठ पीछे अथवा अपने मन में भी ‘उस पर मेरा अधिकार’ ऐसा न सोचें, वह मुख्य रूप से आपका दायित्व है, स्वयं की जनी सन्तान से भी बड़ा दायित्व।
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7. यदि उससे कभी मतभेद हों भी जिस प्रकार अपनी रक्तसन्तान से सम्बन्ध नहीं तोड़े जाते, उससे परायापन नहीं किया जाता उसी प्रकार उससे भी अपनापन रखें तथा विशेष सावधानी यह बरतें कि अपने निर्णय उस पर न थोपें, अन्यथा हो सकता है कि वह भावनात्मक दबाव में आकर आपकी बात बेमन से मान ले कि मुझ अनजान को इन्होंने पाला-पोसा इनकी बात कैसे काटूँ।
8. यदि आपको गोद लिये बच्चे का सम्प्रदाय इत्यादि ज्ञात है तो अपने साथ-साथ थोड़ा-बहुत उसके सम्प्रदाय इत्यादि के अनुसार भी उसे पालें, जैसे कि यदि आप Hundu हैं एवं वह मुस्लिम तो कभी-कभी उसे अपने साथ मस्जिद ले जायें, उसे Kuraan की चयनित पंक्तियाँ गीतासार जैसे सिखायें.
वैसे आप देखेंगे तो गीता-कुरान व अन्य ग्रंथों के सार-निष्कर्षो में अत्यधिक समानताएँ होती हैं, अतः अपने मन से ‘मेरा सम्प्रदाय, तेरा सम्प्रदाय’ जैसे भाव मिटा दें। बच्चे के मन में भी सर्वसम्प्रदाय इत्यादि के प्रति समता का भाव पनपायें।
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Mere Nana ko unke bade Papa aur badi mammi Jo naavald the unhone pala posa Kyunki mere Nana ki apni Maa mere Nana ko janam dene k teesre din guzar gayi aur mere Nana k apne pitaah ne dusra vihah kar mere 3 din k Nana ko apne bade bhaia bhabhi k pass chhod gye tab mere Nana ko unke bade papa badi mammi ne Pala shadi vivah karwaya Par unko Koi God lene ki kaagzi prakria nhi Kia 1944 me to kya Kia jaaye
Mujhe babys chahiye
मेरी कोई संतान नहीं है मै एक 4/5 साल की बच्ची गोद ऐना चाहती हु कृपया मेरी मदद कीजिये आपकिमादद से मेरी सुनी गोद भर सकती है
Mujhe mere brother and nanad k liye ek baby chahiye pls boy ya girl koi bhi .wo bhut preshan h .or nanad ki age bhu ab nikal hi chuki h .mere brother or nanad ki shadi hui thi bt unhe baby m problm ho rhi h .wo god lena chahte h
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Soni
Mai or mere pati 4 saal se try kar rahe lekin meri tube blockage kisi wajah se mai pregnant nhi ho payi. Dr bolte hain ivf karne ko. Lekin mai risk nhi lena chahti islye mai new born baby adopt karna chahti hu taki meri family ko lage ki mera hi baby hai
I am Interested to adopt a New Baby Child