जॉब करना बेहतर है या अपना बिजनेस Job Vs Business Which Is Better In Hindi
Job Vs Business Which Is Better In Hindi जॉब बेहतर या अपना व्यवसाय
यह प्रश्न स्वयं से करने वालों की संख्या दिन-रात बढ़ती जा रही है, आज Job व अपने व्यवसाय इन दोनों के पक्श-विपक्श के तर्कों का विश्लेषण करते हैं ताकि प्रत्येक स्थिति के लाभों व जोख़िमों का अवलोकन करते हुए आगे का निर्णय किया जा सके, स्मरण रखें कि हर पक्ष में लिखे गये हर तर्क का विलोम भी हो सकता है.
Job से Job व व्यवसाय से व्यवसाय अनुसार, अर्थात् जिससे जो लाभ लिखा है वहाँ उसका विपरीत अथवा जहाँ जो हानि लिखी है वहाँ लाभ भी सम्भव, यह भी ध्यान रखें कि व्यवसाय व व्यापार का तात्पर्य कर्मचारियों की कतार, लाखों का निवेश न समझें, लेखन-अनुवाद जैसे अन्य कई कार्य हैं जो घर बैठे व बिन झँझटों के सरलता से किये जा सकते हैं.
Job Vs Business Which Is Better In Hindi
Job के लाभ (Job Benefit In Hindi) :
1. स्थायित्व –
आर्थिक व समयगत दृष्टि से स्थायित्व रहता है तथा परिस्थितियों का विशेष प्रभाव प्रायः नहीं पड़ता। हर माह कम से कम निश्चित वेतन तो साधारणतया मिलना ही है तथा अगले वर्ष व माह नौकरी छूट जाने का भय रहने की सम्भावना भी कम।
2. अनुशासन से जीवन नियन्त्रण –
अधिकांश लोग ऐसे होते हैं कि जिनके सिर पर डण्डा न लटक रहा हो अथवा जिन्हें यदि किसी के द्वारा अनुशासन में न रखा जाये तो वे ठीक से कार्यालयीन तो क्या स्वयं के कार्य भी नहीं करते.
उदाहरणार्थ समय पर उठना, दिनचर्या ठीक रखना, समयबद्ध कार्य पूरा करना इत्यादि नहीं कर पाते, ऐसे लोगों के लिये नौकरी ही ठीक रहती है, ये यदि स्वरोज़गार की ओर बढ़े तो भयानक हानियाँ हो सकती हैं। आलस्य त्याग कर्मठ हुए बिना ऐसे लोग व्यापारादि का विचार न करें।
3. अतिरिक्त लाभ –
बोनस, प्रमोशन, बीमा, सेवानिवृत्ति के बाद भी नियमित राशि प्राप्ति इत्यादि लाभ (कई लाभ Private Job में भी) नौकरी में सुलभ हो सकते हैं, अन्यथा Job के अन्य लाभों की चर्चा तो यहाँ की ही गयी है।
4. स्वयं प्रयास नहीं करने पड़ते –
Job में स्वयं छटपटाने की आवश्यकता नहीं होती अथवा विपणन, लोकसम्पर्क, व्यापार प्रसार इत्यादि हेतु हाथ-पैर नहीं चलाने पड़ते, नियोक्ता संगठन से जुड़े रहना ही पर्याप्त रहता है जबकि व्यापार में उठापठक भरी यह धमाचैकड़ी जीवन भर चलती है।
5. निवेश अनावश्यक –
व्यापार में निवेश आवश्यक हो सकता है किन्तु Job में ऐसा नहीं होता तथा Invest के चक्कर में ‘जो नहीं है उसे पाने के लिये वह भी हाथ से छूट सकता है जो पहले से है.
जैसे कि लोन के दुष्चक्र में सम्पत्ति दाँव पर लग सकती है, ‘लाभ होगा ही’ ऐसा मानकर चलना मूर्खता के अतिरिक्त और क्या है ? Bank तो जितना loan देते वह देते ही इसलिये हैं कि हमारा क्या जा रहा है, यदि यह व्यक्ति न भी चुका पाया तो इसकी सम्पत्ति की नीलामी करवाकर ब्याज सहित सब वसूल लेंगे, बस इतनी-सी बात !
6. शीघ्र व नियमित लाभ –
नौकरी में कमायी तत्काल आरम्भ हो जाती है जबकि व्यापार में कुछ माह से लेकर वर्षो तक लग सकते हैं (तब तक हो सकता है कि व्यक्ति व उसका परिवार बहुत कुछ खो दे). वर्षो बाद भी समाज में कैसी स्थितियाँ रहेंगी कौन जाने !
वैसे भी आजकल तो आर्थिक नियमों में अचानक परिवर्तन ले आये जाते हैं तथा जनसंख्या के कारण स्पर्धा भी इतनी है कि क्या पता परसों या अगले वर्ष आपके पास ही कोई ऐसा प्रतिस्पर्धी आ जाये.
जिसका जनसम्पर्क अथवा आर्थिक सामर्थ्य आपसे अधिक हो तथा वैसे भी बड़ी कम्पनियाँ अपनी व्यापक पहुँच-पहचान के कारण व बड़े पैमाने पर उत्पादन के कारण कच्चे माल सस्ते में लेकर कम लागत में उत्पादन कर अधिक सस्ते व अधिक Discount सहित प्रचार-प्रसार के दम पर सरलता से उत्पाद बेच पाती हैं तथा मानव श्रम व यांत्रिक कार्यकलापों में अधिक खर्चा करते हुए गुणवत्ता व सेवा-प्रदाय में भी अग्रणी रहती हैं.
नये व्यापारी इतना सब प्रायः नहीं कर पाते तथा बड़ी कम्पनियों एवं उनके विस्तार के अँधियारे में अपना अस्तित्व दूसरों के सामने लाना भी अपने आप में एक भय पूर्ण जोख़िम रहता है, सब तैयारियाँ करने के बाद में सदमा न लगे।
Job की सीमाएँ (Job Harm In Hindi) :
1. समय का बन्धन –
दैनिक स्तर पर निश्चित समय पर कार्यस्थल पहुँचना व उससे पहले घर न आ पाने की बाध्यता रहती ही है तथा एक दिन का अवकाश रहता है परन्तु ध्यान रहे कि आजकल तो घर पर भी कार्यालय के कार्य करने पड़ सकते हैं.
ऐसा भी सम्भव है कि घर पर आकर कार्यालय का कोई कार्य न करना हो जबकि कुछ व्यापारों व्यवसायों में समय का बन्धन प्रायः नहीं होता अथवा किराना जैसे व्यापारों में हो भी सकता है परन्तु घर आकर किराने का कार्य करने की आवश्यकता हो भी सकती है अथवा नहीं भी।
किसी भी व्यापार में स्वयं घर जाते अथवा कार्यस्थल से बाहर निकलते समय कर्मचारियों पर कार्य छोड़ना कई लोगों को जोख़िम पूर्ण लगता है। इस प्रकार इस विशय में असमंजस रहेगा कि इस बिन्दु के सन्दर्भ में भी Job बेहतर अथवा व्यवसाय !
2. वेतनवृद्धि या तो कम अथवा देरी से प्रमोशन –
कार्य करते रहने के कुछ वर्ष बाद 900 अथवा 1900 रुपये बढ़ना कुछ लोगों को पसन्द नहीं आता. Pramotion में भी अनेक प्रशासनिक दाँव पेंच हो सकते हैं किन्तु हमें ध्यान रखना होगा कि वेतन-वृद्धि अथवा प्रमोशन हो या नहीं किन्तु न्यूनतम निर्धारित वेतन तो मिलेगा ही जो कि प्रायः किसी व्यापार में निश्चित नहीं रहता।
व्यवसाय व्यापार के लाभ (Business Benefit In Hindi) –
1. समय में लचीलापन –
अनेक व्यापारों में समय में लचीलापन हो सकता है व नहीं भी. कई बार ऐसा भी हो सकता है कि यदि आप अपने समय को अपने तरीके से सँभालना चाहे तो उस दौरान अधीनस्थों पर कार्यभार छोड़कर जाना होगा जिसके अपने जोख़िम हो सकते हैं, जैसे कि कर्मचारियों द्वारा कामचोरी की, गुणवत्ता में मिलावट की व अन्य आशंकाएँ सम्भव।
2. कार्यस्वरूप व तौर-तरीके चुनने की स्वतन्त्रता –
कौन-सा कार्य करना है, कौन-सा नहीं, कौन-सा कार्य यदि आवश्यक हो तो उसे किसी को सौंपने की स्वतन्त्रता रह सकती है परन्तु ध्यान रहे कि यथार्थता के धरातल पर जाने पर कई बार सक्षम व्यक्ति नहीं मिलते व अनेक कार्य स्वयं ही करने पड़ते हैं। शुरु में स्वाधीनता लगने वाली स्थिति अब पराधीनता लगने लगती है। निजी अथवा सरकारी संगठन के लिये आपका विकल्प खोजना सरल है परन्तु आप स्वयं अपने विकल्प कैसे ढूँढेंगे ?
व्यवसाय के जोख़िम (Business Harm In Hindi) –
1. निवेश :
व्यापार में निवेश आवश्यक हो सकता है जिसे लाना, सँभालना, उपयोग करना व रिटर्न में बदलना बड़े-बड़े व्यापारियों के भी लिये टेढ़ी खीर समान है। अपनी अथवा परिवार की सहज-सहर्श स्थिति छीनकर अथवा मूलभूत आवश्यकता-पूर्ति में कटौती करते हुए उनका या अपना पेट काटकर व्यापार का प्रयास कोई समझदारी वाली बात तो नहीं लगती।
2. अनियमितता :
व्यापार प्रायः बहुत सारे बाहरी कारकों पर निर्भर रहता है, एक कारक में भी परिवर्तन आपके लाभों को बढ़ा सकता है अथवा घटा भी सकता है. घटने की स्थिति के लिये आप मानसिक व आर्थिक रूप से हमेशा तैयार रहेंगे ?
तालाबन्दी, हड़ताल, दलाल बिचैलियों की कमिशनखोरी भरी उधेड़-बुन, भ्रष्टाचारी पुलिस सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारियों व ग़ैर-प्रशासनिक अन्य व्यक्तियों संगठनों, स्पर्द्धियों की स्थिति, आसपास लोगों की भीड़ व रुचियों में परिवर्तन जैसे ढेरों कारकों में बीच व्यापार झूलता ही रहेगा।
3. लाभप्रदता अनिश्चित :
कब उत्पादन आरम्भ होगा, कब उधारियाँ चुकेंगी, कब लाभप्रदता की स्थिति आयेगी, आ भी जाये तो भी कर्मचारी व साथ जुड़े अन्य व्यक्तियों की आर्थिक सुरक्शा का सोचना भी आवश्यक है. इन सबमें आपको पूरा परिवार जोख़िम में डालना पड़ सकता है.
किसी माह यदि कम बिक्री हुई तो इसमें कर्मचारियों का क्या दोष ? उनके वेतन में कटौती क्यों ? और वैसे भी यदि आपका कारोबार कुल 3 लाख रुपयों का रहा तो भी यह देखना आवश्यक होगा कि खर्चों इत्यादि को चुकाकर आपके पास अपने व परिवार के लिये कितने बच रहे हैं…..
4. स्वयं प्रयास करते रहने पड़ते हैं :
लगभग हर व्यवसाय-व्यापार में छटपटाना पड़ता है अथवा विपणन, लोकसम्पर्क, व्यापार प्रसार इत्यादि हेतु हाथ-पैर चलाने ही पड़ते हैं। आप स्वयं व्यक्तिगत रूप से मैदानों पर उतरने से बचते हुए एक बार भी जो बैठे तो आपकी समूची अर्थव्यवस्था को बैठने में शायद समय न लगे। आपकी मानसिक व शारीरिक सक्रियता में निरन्तरता से ही व्यापार को चलाने के प्रयास किये जा सकते हैं.
अतिधनाढ्य व्यापारियों को भी राजनैतिक, आर्थिक, कार्पोरेट इत्यादि परिस्थितियों के मध्य झूलते हुए बैल जैसे स्वयं जुतकर गाड़ी चलानी पड़ती है जहाँ आपका रुकना मना है, अन्यथा कराधान, आर्थिक लेखा-जोखे में अनियमितता इत्यादि जैसी कोई फाँस कब गड़ जाये, कई बार स्वयं को वर्शों तक पता नहीं चलता एवं उस फाँस का केन्द्र ढूँढ पाना भी असम्भव-सा लगने लगता है।
5. परिश्रमी, धैर्यवान् व संयमशील होने के दुर्लभ होने जा रहे गुण आवश्यक :
यदि Job छोड़ना चाहते हैं तो इस आलेख का सम्पूर्ण विवरण ध्यान रखें तथा अपनी रुचि-अरुचि से परे उठकर वास्तविकताओं का निरीक्षण करें कि कौन-सा उत्पाद सेवा क्रय करने को लोग इच्छुक हैं उनसे स्वयं जाकर आमने-सामने व फ़ोन से पूछें कि यदि आप ऐसा कुछ लाये तो क्या वे क्रय करेंगे.
समस्त Subjects में एक प्रश्नावली व अग्रिम भुगतान के बाद व्यवसाय शुरु करने के बाद जब स्थायी लाभप्रदता की स्थिति आती दिखे उससे पहले Job छोड़ने का महा जोख़िम उठाने की न सोचें।
6. किस कार्य को अपनावैं :
इस प्रश्न का उत्तर अपनी परिवर्तनशील रुचियों के बजाय व्यावहारिक होकर स्वयं को सौंपना होगा, जैसे कि स्थानीय कारीगरों को एकजुट कर उनका विक्रय-माध्यम बन जायें. ‘स्थानीय के लिये प्रखर होवैं.
(वोकल फ़ार लोकल), ‘भारत में करें निर्माण’ (मेड इन इंडिया), स्वदेशिता जैसी बातें न भी सोचते हों तो भी स्थानीय स्तर पर कार्यरत् इन कारीगरों के कार्यों, छायाचित्रों, उत्पादों, सेवाओं, फ़ोन नम्बर्स इत्यादि को इनसे पूछ-पूछकर एक डायरी में मैण्टैन करके रखें कि मैं एक विवरण डाटाबेस बना रही या बना रहा हूँ जिसके माध्यम से हम सब एक साथ होकर सम्भावित ग्राहकों तक पहुँचकर कमायी बढ़ा सकते हैं तथा सम्भावित ग्राहकों तक सेवाओं उत्पादों की उपलब्धता की जानकारी पहुँचाना मेरा कार्य होगा।
आप चाहें तो एक ब्लाग (जिसे बनाने के लिये विशेषज्ञीय सेवा की आवश्यकता नहीं होती, कोई भी व निःशुल्क बना सकता है, यदि न बना पा रहे हों तो इन्टरनेट-दुकान के चालक से बनवा लें, लगभग 15-20 मिनट्स का एक बारगी कार्य है), उसमें यह सम्पूर्ण विवरण पोस्ट कर दें तथा सम्भावित ग्राहकों को एसएमएस के रूप में इस ब्लाग का लिंक मैसेज कर दें. मिट्टी, बाँस की उपयोगी व आकर्षक सामग्रियों के लिये …… इस लिंक को देखकर अवश्य सम्पर्क करें.
मैं आपके द्वारा इच्छित वस्तु आपके घर तक पहुँचाऊँगा, स्पीड पोस्ट की भी व्यवस्था उपलब्ध। ध्यान रखें कि ब्लाग एक बार बनाकर छोड़ देना पर्याप्त है, बारम्बार ऑनलाइन होने की कोई आवश्यकता नहीं.
ओफ़लाइन सुखी रहने के उपाय’ अवश्य पढ़ें। यह सम्पूर्ण विवरण एक हार्डकापी फ़ाइल बनाकर अपने पास भी रखें। मोबाइल में डूबे रहने की आदत छोड़कर स्थानीय कारीगरों को इस प्रकार एकजुट करने का कार्य करेंगे तो आपको पता चलेगा कि व्यर्थ बैठने के बजाय थोड़ा-सा चल-फिर लेने से एवं नाममात्र के श्रम से ही आपने अपने व दूसरों के लिये कितना कुछ कर लिया, वह भी लाखों के निवेश के बिना.
स्वयं सब कुछ कर लेने के बजाय देखें कि आपके आसपास भी बहुत सारे ऐसे लोग होंगे जिनके सहयोग अथवा किसी प्रकार के योगदान से आप कोई नवाचार अथवा विशेषीकरण (कस्ट्माइज़ेशन) भी कर सकते हैं.
आवश्यकतानुसार सम्बन्धित शिल्पियों इत्यादि से व्यक्तिगत स्तर पर जाकर 2-3 दिन का ट्रेनिंग भी प्राप्त कर सकते हैं अथवा कार्यप्रणाली को समझने जा सकते हैं परन्तु मैं ख़ुद कर लूँगा का पूर्वाग्रह मिटायें व जो जिसमें प्रवीण है उसे ही वह कार्य करने दें, स्वयं ठोकरें खाने, समय गँवाने, अदक्ष कार्य करने से बचें, सम्बन्धित क्षेत्र के भुक्त भोगियों व पूर्वअनुभवियों की आप बीतियाँ सुनते चलें ताकि आपको अपनी स्थिति का अनुमान हो सके कि आप कौन-सा चमत्कार व कैसे करने वाले हैं।
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Madhav says
Intersting article likhe ho sir