नारियल पानी पीने के 7 फायदे व नुकसान Coconut Water Benefit Harm In Hindi
Coconut Water Benefit Harm In Hindi
नारियल का एक बड़ा भाग दक्षिण भारत में उगता है परन्तु पूजन के लिये सामान्य गीला नारियल, सूखे मेवे जैसे खाने व हलुवा इत्यादि में मिलाने के लिये खोपरा व सूखे नारियल के रेशे व चूर्ण सहित पीने के लिये कच्चा नारियल-पानी नारियल के साथ लगभग समूचे भारत में उपलब्ध कराया जाता है।
नारियल-पानी में सरलता से पच जाने वाले कार्बोहाईड्रेट्स होते हैं। नारियल-पानी को कच्चे व हरे फल के केन्द्र से निकाला जाता है। यह हाई-फ़ैट Coconut Water अथवा Oil से अलग है।
नारियल-दुग्ध (कोकोनट-मिल्क) तो पके नारियल के किसे (ग्रेटेड) सफ़ेद गूदे में पानी मिलाकर तैयार किया जाता है, नारियल-दुग्ध में पानी मात्र 50 प्रतिशत होता है किन्तु नारियल-वसा (Coconut Fat) अत्यधिक होता है।
नारियल-पानी इसलिये भी अन्य फलादि रसों की अपेक्षा कुछ सन्दर्भों में बेहतर कहा जा सकता है कि इसमें –
(1) पेस्टिसाइड व रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग की सम्भावना कम रहती है इसलिये नारियल-पानी अधिक नैसर्गिक होता है.
(2) साबुत नारियल होने से इसमें एडेड शुगर्स या प्रिज़र्वेटिव्स की आशंका नहीं रहती.
(3) इसमें मिलावट नहीं की जाती क्योंकि व्यक्ति के सामने ही Coconut काटा जाता है। यहाँ नारियल-पानी के स्वास्थ्य-लाभ प्रदर्शित किये जा रहे हैं जिन्हें जानकर अब तक नारियल से दूर रहने वाले भी नारियल-पानी पीने लग जायेंगे.
Coconut Water Benefit Harm In Hindi
नारियल-पानी के फायदे –
1. कैलौरी, वसा या कैलोस्ट्राल कम.. मोटापा नहीं बढ़ेगा, धमनियों के लिये अच्छा।
2. प्रचुर पोटेशियम किन्तु सोडियम कम – अधिक पोटेशियम कम सोडियम का यह संतुलन सामान्य या अधिक रक्तचाप वाले लोगों का रक्तचाप कम करने का कार्य करता है क्योंकि सोडियम (जो कि साधारण नमक में बहुत होता है).
रक्तचाप को बढ़ाने व पोटेशियम (जो केले व नारियल-पानी में बहुत होता है) रक्तचाप घटाने के लिये जाना जाता है. एक छोटे-से अध्ययन में ऐसा पाया गया कि High Blood Pressure को ठीक करने में नारियल-पानी उपयोगी हो सकता है क्योंकि इस समूह के अधिकांश व्यक्तियों में यह लाभप्रद रहा है.
3. पानी की कमी पूर्ण करने में व थकान मिटाने में अति उपयोगी – पोटेशियम, मैगनिशयम, सोडियम व कैल्शियम को इलेक्ट्रोलाइट्स कहा जाता है. ये खनिज शरीर में तरल का सटीक संतुलन बनाये रखते हैं। नारियल-पानी में मैगनीज व जस्ता भी होता है जिससे यह दस्त की स्थितियों में भी पानी की तेज कमी को शीघ्र पूरी करने में सहायक है परन्तु मात्रा सीमित रखें, अन्यथा इसके ठीक विपरीत परिणाम भी पाये गये हैं।
4. नारियल-पानी में अनेक एण्टिआक्सिडेण्ट्स होते हैं जो शरीर में मुक्त-मूलकों (फ्ऱी-रेडिकल्स) को रूपान्तरित कर देते हैं जिससे ये कोशिकाओं को उतनी हानि नहीं पहुँचा पाते।
5. वृक्काष्मरी में भी सहायता का अनुमान – कुछ व्यक्तियों को ख़ूब नारियल-पानी पिलाने के बाद ऐसा अनुमान जताया गया कि नारियल-पानी में पोटेशियम की अधिकता के कारण यह किड्नी की पथरी को गला सकता है व पाठी बनने से बचाव कर सकता है.
ध्यान रहे नारियल-पानी में कैल्शियम भी होता है जिसकी मात्रा पथरी बनाने में भूमिका निभाती है)। पोटेशियम की मात्रा अधिक होने से शरीर में पोटेशियम-विषाक्तता हो सकती है क्योंकि प्रतिदिन नारियल पानी पीने अथवा अधिक मात्रा में पीने से जरूरत से अधिक पोटेशियम रक्त में आ जायेगा। ऐसा भी आकलन है कि नारियल-पानी से मूत्राषय के संक्रमणों से राहत सम्भव है, सम्भवतया इसमें जीवाणुरोधी (एण्टि-बैक्टीरियल) गुणधर्म हों।
6. मैगनिशयम से मधुमेह-नियन्त्रण – मैगनिशयम अधिक होने से यह इन्स्युलिन-संवेदनशीलता बढ़ा सकता है एवं टाइप 2 डायबिटीज़ व प्रिडायबिटीज़ में रक्त-शर्करा स्तरों को घटा सकता है।
7. एक पशु-अध्ययन में नारियल- पानी में एण्टी-थ्राम्बोटिक सक्रियता पायी गयी है जिसका तात्पर्य यह है कि इससे रक्त-स्कन्दों (ख़ून के थक्कों) के निर्माण से बचाव हो सकता है।
इसका सीधा-सा तात्पर्य यह है कि नारियल-पानी हृद्-वाहिकागत (कार्डियो-वॅस्क्युलर) रोगों में कुछ उपयोगी हो सकता है जहाँ रक्त को पतला करने के चिकित्सात्मक प्रयास किये जाते हैं ताकि धमनियों में रक्तप्रवाह सहज किया जा सके एवं हृदय पर पड़ने वाला दबाव घटाया जा सके।
नारियल-पानी पीने पर रखे ये सावधानियाँ –
1. यहाँ तो आपको अनुसंधान-परिणाम दिखाए गये है. नारियल-पानी हो या अन्य कोई विषय विरोधाभासी दावों में आकर कोई भी निर्णय न करें। कई बार ऐसा भी होता है कि किसी समूह के अधिकांश सदस्यों में मिले लक्षण अन्य समूहों के अधिकांश सदस्यों में दिखे लक्षणों से विपरीत होते हैं।
2. यह आवश्यक नहीं कि पशुओं में मिले शोध-परिणाम मानवों में भी समान हों।
3. ध्यान रखें कि एक ओर तो वृक्काष्मरी में नारियल-पानी सहायक पाया गया है तो दूसरी ओर इसमें कैल्शियम भी होता है जिससे कि पथरी बनती है।
4. पोटेशियम की अधिक मात्रा से नारियल-पानी की आवृत्ति व मात्रा से रक्त में पोटेशियम-विषाक्तता हो सकती है जो कि विशेष रूप से हृदयक स्वास्थ्य के लिये हानिप्रद स्थिति हो सकती है, धड़कनों में अनियमितता होने लगे तो चिकित्सक से मिलें. इससे कमज़ोरी, मितली भी सम्भव। अधिक मात्रा में Coconut Water पीने से यथासम्भव बचें तथा नारियल-पानी में साधारण पानी या कोई अन्य तरल मिलाकर पीयें या फिर इसके ठीक पहले अथवा बाद में साधारण पानी पीयें।
5. ऐसा न सोचें कि नारियल-पानी को अनन्तकाल तक रखकर पीया जा सकता है. वास्तव में रेफ्रि़जरेटर में भी इसे दो या तीन सप्ताह से अधिक न रखें। Expert का तो यहाँ तक कहना है कि इसे रेफ्रि़जरेटर के बाहर Bottle में दो-तीन घण्टों से अधिक न रखें क्योंकि कोई भी मीठा तरल प्रायः आसानी से सड़ने लगता है।
सुचारु तरीके से Pasteurisation के बाद या बोतल खोले बिना यदि देखें तो अधिकतम एक वर्ष तक इसे भण्डारित रखने का दावा किया जाता हो परन्तु वैसे एक वैज्ञानिक चेतावनी यह भी है कि बोतल बन्द नारियल-पानी को भी 24-48 घण्टों से अधिक रेफ्रि़जरेटर में न रखें।
6. स्वाद पर आश्रित न रहे.. नारियल-पानी का स्वाद यदि खट्टा लगे तो उसमें ख़राबी हो सकती है परन्तु ऐसा स्वाद न भी आ रहा तो भी ऐसा नहीं कहा जा सकता कि वह अच्छा ही होगा क्योंकि और भी अनेक कारणों से वह अपेय (न पीने योग्य) हो सकता है.
कौन जाने कितने दिन पहले उसे पेड़ से लाया गया.. कौन जाने उसके परिवहन के दौरान ट्रक व धूप के कितने ताप क्रमात्मक बदलावों में उसे लाया गया. वैसे भी ठण्डा पीने के चक्कर में व्यक्ति refrigerators से निकालते ही पीने के प्रयास करते हैं, इस कारण खट्टापन तक समझ नहीं आता।
7. बोतल वाले नारियल-पानी भी आजकल उपलब्ध कराया जा रहा है परन्तु खरीदने से पहले उसके बारे में जानकारी अवश्य पढ़ ले तथा इस Article में लिखे स्वास्थ्यगत लाभ ताज़े नारियल-पानी से सम्बन्धित हैं।
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