विवाह पूर्व काउंसलिंग द्वारा 20 समस्याओं से बचें Pre Marriage Counseling Benifit Questions In Hindi
Pre Marriage Counseling Benifit Questions In Hindi
विवाह पूर्व काउंस्लिंग के महत्त्व को समझने से पहले आइए इसकी परिभाषा जान लेते है. विवाह से पहले स्त्री व पुरुष द्वारा एक-दूसरे के समग्र अतीत, वर्तमान, भविष्य को खँगालना ताकि वैवाहिक जीवन इन दोनों व्यक्तियों व इनके परिवारों के लिये कम से कम परेशानियों में बीते.
इस कार्य विधि को विवाहपूर्व काउंसलिंग (counseling before marriage) कहेंगे। विवाहपूर्व काउंसलिंग (Pre Marriage Counseling) द्वारा किन 20 समस्याओं से बचाव सम्भव है ?
Pre Marriage Counseling Benifit Questions In Hindi
1. भविष्य में आर्थिक नियोजन-सम्बन्धी तनातनी व असंतुलन से बचाव.
2. एक-दूसरे की अथवा दोनों के मायके-ससुराल पक्ष की धारणाएँ और मान्यताएँ विरोधाभासी निकलने से बड़ी समस्या उत्पन्न होने से बचाव.
3. सम्भोग में एक-दूसरे का पर्याप्त सहयोग न किये जाने और एक-दूसरे को यंत्र समझने की समस्या से बचाव.
4. घर की बातें सार्वजनिक करने एवं बाहरी लोगों के अनावश्यक हस्तक्षेप से बचाव.
5. तलाक अथवा बड़े अथवा स्थायी मन-मुटाव से बचाव.
6. परिवार दरकने से बचाव.
7. दोनों परिवारों व स्त्री-पुरुष में आजीवन द्वेष से काफी सीमा तक बचाव.
8. बच्चे हो जाने पर अथवा बुढ़ापे में अकेले पड़ जाने ( जीवनसाथी होने पर भी अकेलापन ) से बचाव.
9. विभिन्न प्रकार की चिंताओं और कुंठाओं से बचाव.
10. नया-नवेला वैवाहिक जीवन सुदूर भविष्य में स्वयं अथवा जीवनसाथी के लिये उबाऊ हो जाने बोझ बन जाने या परिजनों के लिये भार स्वरूप हो जाने से बचाव.
11. शारीरिक रूप से विकृत सन्तान जन्मने की आशंकाओं से काफ़ी सीमा तक बचाव.
12. विभिन्न दाम्पत्य क्लेष-कलहों से काफ़ी सीमा तक बचाव
13. सन्तान-पालन (Perenting) के दौरान आ सकने वाली विविध परेशानियों का पहले ही उन्मूलन कर देने से उन परेशानियों से काफ़ी बचाव.
14. पारिवारिक असंतुष्टि से बचाव
15. घरेलु उत्पीड़न ( सभी का ) से बचाव.
16. मानसिक तनाव व अवसाद से बचाव.
17. विषम रुचियाँ होने से होने वाली उलझनों से बचाव.
18. भविष्य की योजनाओं में विरोधाभास होने से पहले ही बचाव.
19. स्त्री पुरुष व इनके परिवारों द्वारा अवांछनीय समझौते करने से एवं विभिन्न विवशताओं से बचाव.
20. चूँकि एक-दूसरे का पूरा अतीत पता है इसलिये भविष्य में एक-दूसरे के चरित्र पर शंका होने से भी बहुत बचाव.
विवाह-पूर्व काउंस्लिंग में निम्नांकित सवाल-जवाब किये जा सकते हैं किन्तु ध्यान रहे कि स्वयं भी हर सवाल का जवाब दें, वह भी बिन पूछे अपने आप एवं शुरु में स्वयं अपनी ओर से.
आर्थिक सवाल-जवाब :
1. अभी पुरुष कहाँ किनके साथ रहता है ?
2. शादी के बाद पत्नी सहित कहाँ किनके साथ रहने की सम्भावना है ?
3. पुरुष की कमायी व खर्चे का वैधानिक लेखा-जोखा (कम से कम विगत 6 महीने का)
4. भविष्य में यदि किसी परिजन पर कोई शारीरिक संकट, वृद्धावस्था, गम्भीर बीमारी इत्यादि मामलों में कोई दुविधा हुई तो उसका निराकरण किस प्रकार किया जायेगा एवं उस प्रभावित व्यक्ति के समस्त खर्चों सहित व्यक्तिगत देखभाल की कितनी-कितनी ज़िम्मेदारी किस-किस की होगी.
(जैसे कि हो सकता है पत्नी की बहन को पारिवारिक सहायता के लिये बुलाने की बात हो किन्तु ध्यान रखना होगा कि उसके अपने विवाह के बाद वह चली जायेगी तब क्या ?); क्या फ़़ुलटाइम कामवाली बाई लगवायी जायेगी या नहीं ?
5. एक-दूसरे के परिवारों व संगी-साथी सहित Relatives की आपातकालीन स्थितियों, पारिवारिक आयोजनों में इत्यादि में भी खर्चा करते हैं क्या ? यदि हाँ तो भविष्य में इसे किस रूप में किसी सीमा तक जारी रखना चाहेंगे? (वार्षिक स्तर पर मद, खर्चे की राषि इत्यादि का यथासम्भव सटीक विवरण भी लिखें)
6. भविष्य में यदि दुकान, मकान बनवाना हो अथवा भूखण्ड ख़रीदना हो तो किसकी क्या भूमिका रहेगी इसे पहले से नोटिस में लाना आवष्यक है ताकि बाद में किसी पर अघोषित मानसिक दबाव न बनाया जा सके।
7. पत्नी को बाहर कामकाज करने दिया जायेगा कि नहीं (इसमें भी विशेष रूप से सास-ससुर मुख्य चर्चा में सम्मिलित हों), Night Shift हुई तो इत्यादि ?
सांस्कृतिक सवाल-जवाब :
1. अन्तर्जातीय विवाह यदि न भी हो तो भी दोनों के मायके-ससुराल व वर-वधु की सामाजिक, पारिवारिक, धार्मिक धारणाओं, मान्यताओं इत्यादि के बारे में स्पष्ट चर्चा कर लेनी होगी ताकि भविष्य में सांस्कृतिक मिश्रण में विशेष विघ्न न पड़े।
2. परम्परा, रीति-रिवाज इत्यादि से सम्बन्धित मान्यताओं के भी सन्दर्भ में विचार-विमर्श कर लें। ज्योतिष व अन्य धारणाओं के बारे में भी पूछताछ कर ले.
3. दोनों के ससुराल मायके का समग्र विश्लेषण आवश्यक है जिसमें आर्थिक, चारित्रिक एवं विषेष रूप से सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान में रखना वर-वधु के भविष्य के लिये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
लैंगिक सवाल-जवाब :
1. अतीत में किसके कितनों से कुल कितनी बार शारीरिक सम्बन्ध रहे.
2. बचपन से अब तक हस्तमैथुन, ब्ल्यू फ़िल्म इत्यादि कुल कितनी बार (आनुमानित रेन्ज) व किस-किस के साथ.
3. परिवार-नियोजन कब व कैसे करना है (कितने बच्चे करने हैं इत्यादि) ताकि ऐसा न हो कि दोनों के विचार मेल न खायें अथवा सास-ससुर पोते के लिये दबाव डालने लग जायें.
4. लैंगिक रुचियाँ व परस्पर अपेक्षाएँ, जैसे कि सप्ताह में कुल कितनी बार सम्बन्ध बनाने की चाह, यदि कम बनाना व अधिक बनाना चाहें तो ? योनिमंथन के अतिरिक्त गुदामैथुन (पत्नी की गुदा में पति का शिष्न).
मुखमैथुन (पत्नी के मुख के पति का षिष्न) के बारे में उनकी अपनी-अपनी निज प्रतिक्रियाएँ इत्यादि तथा साथ ही यह बात भी करें कि किसी को कोई लैंगिक समस्या, विकृति या संक्रमण (जैसे पुरुष के षिष्न में काफ़ी टेढ़ापन) अथवा असामान्यता तो नहीं तथा अतीत में यौन-उत्पीड़न (पुरुष यौन-उत्पीड़न भी), समलैंगिकता इत्यादि की स्थिति भी पता हो एवं अन्य विवरण.
स्वास्थ्यगत अतीत व वर्तमान सवाल-जवाब :
1. दोनों के परिवारों व वर-वधु के स्वयं का विस्तृत चिकित्सात्मक अतीत.
2. वर अथवा वधु को कोई गम्भीर बीमारी कभी रही, कोई शल्यचिकित्सा करायी हो तो उसका विस्तार.
3. विवाह के निर्णय का सोचने से पहले दोनों की गर्भधारण-पूर्व जाँचें अवश्य कराकर उनकी रिपोर्ट सुयोग्य विशेषज्ञ से चेक करायें कि किसी को कोई आनुवंशिक रोग तो नहीं एवं सन्तान उत्पन्न की भी जा सकती है कि नहीं. वैसे यदि सब सामान्य है तो भी किसी बच्चे को गोद लेकर पालना हर लिहाज़ से उत्तम होगा
मानसिक विश्लेषण सवाल-जवाब :
1. दोनों का खान-पान व रहन-सहन, जैसे विशुद्ध शाकाहारी, सोने-उठने का सामान्य समय और वर्तमान शिफ़्टिंग, दोनों के घरों का वर्तमान माहौल इत्यादि.
2. रुचियाँ अभिरुचियाँ, घूमना-फिरना इत्यादि.
3. समग्र नापसन्द और पसन्द.
4. अभी तक के अपने जीवन का सच्चा सारांश (कम से कम 500 शब्द).
5. भावी जीवन-साथी से वास्तविक अपेक्षाएँ (कम से कम 500 शब्द).
6. शादी के लिये अब तक कितने लोगों से बात चली व किस-किस मामले में किसने किसे व किस आधार पर Reject किया.
भविष्य की योजनाएँ व पारस्परिक सहयोग सवाल-जवाब :
1. निकट अथवा दूरभविष्य में स्थान अथवा जॉब परिवर्तन की कोई सम्भावना.
2. भावी दम्पति के घर में कमरों व परिजनों की संख्या तथा यदि कोई मेहमान आता है तो कहाँ व कब तक रुकेगा तथा उसके आने-जाने ठहरने, भोजन की आर्थिक व अन्य देखरेख-सम्बन्धी ज़िम्मेदारी किसके द्वारा निभायी जायेगी ?
3. संयुक्त अथवा एकल परिवार किसमें रहना है एवं कब-कब किस-किस का कहाँ-कहाँ कितनी-कितनी अवधि के लिये आना जाना लगा रहने की सम्भावना है.
4. दोनों के मायके व ससुराल वालों की क्या-क्या भूमिका किन-किन मामलों में कितनी-कितनी रहने की सम्भावना है ?
5. सम्भावित पति पत्नी के साथ घरेलु कार्यों में हाथ बँटायेगा अथवा यदि उसके माता-पिता ने मना कर दिया तो दूर बैठे-बैठे बस मेहमान जैसे टी.वी. देखेगा ? इत्यादि Photo Identity Proof एवं स्थायी पता प्रमाण-पत्र के साथ यह उद्घोषणा एवं दिनांक सहित हस्ताक्षर.
”मेरे द्वारा ईश्वर, धर्मग्रंथों व अपने प्रियजनों की शपथ पूर्वक यह स्वीकारोक्ति की जा रही है कि मेरे द्वारा बतायी गयी जानकारी मेरे अनुसार पूरी तरह वास्तविक व स्पष्ट है, मैंने कुछ भी छुपाया/बढ़ाया/घटाया नहीं है तथा भविष्य में भी पूर्ण ईमानदारी बरती जायेगी.
पूर्ण नाम सहित हस्ताक्षर एवं दिनांक वैसे उपरोक्त के साथ अचानक छापामार कार्यवाही जैसे अज्ञात व्यक्ति बनकर दोनों परिवारों की एवं आस-पड़ौस, रिश्तेदारों, संगी-साथियों की वास्तविक स्थितियों को परखना भी आवश्यक लगता है (किन्तु ऐसा न सोचें कि बाहर वालों ने जो बोला वह सही ही होगा)।
एक-दूसरे की Contact लिस्ट में कौन-कौन है एवं अचानक छापामार कार्यवाही जैसे समस्त मैसेन्जर्स में किससे क्या-क्या संवाद किया गया, Delete व Inactive Histoy सहित, इन सब बारे में सविस्तार अतीत-विश्लेषण करना तो अतीव जरुरी है ताकि भविष्य में समस्याएँ यथासम्भव न ही पनपें।
तो दोस्तों यह लेख था विवाह पूर्व काउंसलिंग द्वारा समस्याओं से बचें – Pre Marriage Counseling Benifit Questions In Hindi, Shadi Se Pahle Counseling Kaise Kare Hindi Me. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी re Marriage Counseling Benifit Questions In Hindi शेयर करें।
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