गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी आहार Pregnancy Diet Chart Tips In Hindi
Pregnancy Diet Chart Tips In Hindi
गर्भवती के शारीरिक स्वास्थ्य का अतीत गर्भस्थ शिशु के शारीरिक स्वास्थ्य के भविष्य का एक मुख्य निर्धारक होता है ” गर्भावस्था स्त्री जीवन का ऐसा पड़ाव होता है जिसमें उपयुक्त रहन-सहन सहित उपयुक्त खान-पान का भी विशेष ध्यान रखे जाने की आवश्यकता होती है।
गर्भवतियों को अन्य स्त्रियों की अपेक्षा अधिक कैल्शियम, फ़ालेट, लौह व प्रोटीन की आवश्यकता होती है। आइए इन चारों पोषकों की जानकारियों पर ज़ोर डालें.
Pregnancy Diet Chart Tips In Hindi
फ़ालेट :
फ़ालेट वास्तव में एक प्रकार का विटामिन-बी है जो गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क व मेरु-रज्जु के जन्मजात् विकारों (जैसे कि सेण्ट्रल ट्यूब डिफ़ेक्ट्स) को दूर रखने में सहायक है। गर्भधारण से पहले भी इस पोषक की आवश्यकता होती है।
फ़ालेट सामान्य शारीरिक परिवर्द्धन एवं आनुवंशिक पदार्थ के संश्लेषण में आवश्यक होता है। जिन पोषक तत्त्वों की कमी के कारण गर्भवती व शिशु कुपोषण से ग्रसित होते पाये जाते हैं उनमें फ़ालेट भी एक प्रमुख पोषक तत्त्व है। ध्यान रहे : गर्भवती के शारीरिक स्वास्थ्य का अतीत गर्भस्थ शिशु के शारीरिक स्वास्थ्य के भविष्य का एक मुख्य निर्धारक होता है।
स्रोतः हरी पत्तेदार सब्जियाँ, खट्टे फल, मश्रूम, खरबूज व विभिन्न फलियाँ
कैल्शियम :
बच्चे की अस्थियों व दाँतों के परिवर्द्धन के लिये कैल्शियम आवश्यक है। गर्भवती यदि पर्याप्त कैल्शियम का सेवन न करे तो बच्चे को कैल्शियम की आपूर्ति गर्भवती के शरीर की अस्थियों द्वारा होने की सम्भावना रहती है। विटामिन-डी ऐसा अन्य पोषक तत्त्व है जो बच्चे की अस्थियों व दाँतों के परिवर्द्धन में कैल्शियम के साथ कार्य करता है।
स्रोत : दुग्ध व सम्बन्धित उत्पाद, विभिन्न फलों (विशेषतया खट्टे) के रस, गोभी, पालक, सोयाबीन (सोयाबीन को रात में पानी में गलाकर सुबह उसे उबालकर छिलके निकालने के बाद पीसकर दूध निकाला जा सकता है.
जिसमें इलायची डालकर एक पौष्टिक व स्वादिष्ट पेय तैयार हो जाता है तथा पिसे भाग को घीं में भूनकर व इलायची डालकर हलवे का सेवन किया जा सकता है. छिलके को खाद के रूप में मिट्टी में मिलाना बेहतर रहेगा क्योंकि यह पशुचारे के रूप में भी ठीक नहीं माना जाता)
लौह :
गर्भवतियों को अगर्भवतियों की तुलना में दोगुना लौह आवश्यक होता है ताकि गर्भस्थ शिशु को आक्सीजनयुक्त अधिक रक्त की आपूर्ति हो सके। गर्भावस्था में कम लौह-सेवन से थकान बढ़ सकती है एवं संक्रमणों की आशंका भी। आहार में उपस्थित लौह पेट में जाकर ठीक से अवशोषित हो सके इस हेतु उसी खाने के साथ विटामिन-सी की उपस्थिति आवश्यक है।
स्रोत : नारंगी, विभिन्न फलियाँ व उनके भण्डारित बीज
प्रोटीन :
गर्भावस्था के दौरान प्रोटीन की आवश्यकता बढ़ जाती है क्योंकि यह बच्चे के मस्तिष्क व हृदय के निर्माण में सहायक है। दालें व दुग्ध प्रोटीन के मुख्य स्रोत हैं। पोषक तत्त्वों, विशेषत : विटामिन्स के सन्दर्भ में अधिक जानकारियों के लिये ‘ विटामिन की कमी एवं समाधान’ नामक आलेख पढ़ने योग्य है।
गर्भावस्था के दौरान किन से सतर्क रहें
1. चाय-काफ़ी कम रखें : विशेषतया खाने के तुरंत पहले व बाद में इनका सेवन न करें। सुबह उठकर खाली पेट भी चाय-काफ़ी से दूर रहें।
2. मदिरा :
गर्भवती द्वारा पी गयी मदिरा रक्त के माध्यम से सीधे बच्चे के शरीर में उतर सकती हैः नाभि-रज्जु के माध्यम से। गर्भवती द्वारा मदिरा पीने से प्राणघातक अल्कोहल स्पेक्ट्रम विकार हो सकते हैं जो कि ऐसी स्थितियों का समूह है जिनमें शारीरिक समस्याओं सहित सीखने व व्यवहारगत समस्याओं से भी बच्चों को जूझना पड़ सकता है।
3. माँसाहार :
अण्डादि माँसाहार वैसे तो सभी के लिये हानिप्रद है परन्तु गर्भस्थ शिशु के लिये यह अधिक घातक सिद्ध हो सकता है, विशेषतया स्वार्डफ़िश, शार्क, किंग मॅकॅरेल, मार्लिन, ओरेन्ज रफ़ी व टाइलफ़िशष में मिथाइल मर्करी की मात्रा अधिक रहती है; यह ऐसा विषैला रसायन है जो अपरा (प्लेसेण्टा) को पार कर सकता है एवं अजन्मे शिशु के मस्तिष्क, वृक्कों (गुर्दों) व तन्त्रिका-तन्त्र के परिवर्द्धन में हानि पहुँचा सकता है।
4. ग़ैर-पाश्चुरीकृत खाद्यों से यथासम्भव परहेज :
गर्भवतियों को दो प्रकार की खाद्य-विषाक्तताओं का जोख़िम अधिक रहता है. लिस्टेरियोसिस (लिस्टीरिया नामक जीवाणु से होने वाली एक बीमारी) एवं टाक्सोप्लॅज़्मोसिस (एक परजीवी द्वारा होने वाला संक्रमण), लिस्टीरिया से गर्भहनन (बच्चा गिरना/मिसकैरेज) तक हो सकता है अथवा समय से पहले प्रसव सम्भव है अथवा नवजातों में रुग्णता अथवा मृत्यु तक सम्भव है।
लिस्टेरियोसिस से बचने के लिये कच्चे दूध व इससे बने खाद्यों से यथासम्भव दूर रहें, पाश्चुरीकरण में हानिप्रद जीवाणुओं को नष्ट करने के लिये उच्च तापक्रम तक उत्पाद को गर्म किया जाता है। इसी प्रकार आशंका युक्त अन्य खाद्यों व पेयों को भी गर्म करने जैसी प्रक्रियाओं से गुजारना आवश्यक हो जाता है।
माँस तो हर प्रकार से हानिप्रद होता ही है है किन्तु कच्चे माँस से टाक्सोप्लॅज़्मा संक्रमण गर्भवती से उसके शिशु को फैल सकता है एवं शिशु में बाद के जीवन में अंधत्व व मानसिक अक्षमता जैसी समस्याएँ पनप सकती हैं।
गर्भवती व गर्भस्थ के स्वास्थ्य में बाधक कुछ भ्रांतियाँ एवं उनके निराकरण
भ्रांति : कटहल व मशरूम तो माँस समान हैं !
निराकरण : कटहल एवं अन्य अनेक फसलों के उत्पादन में आजकल हड्डियों का चूरा इत्यादि का प्रयोग किया जाता है इस कारण ये उसी प्रकार माँस समान हो सकते हैं जैसे कि गाय के दुध मुँहे बच्चे द्वारा पीये जाने से पहले जबरन निकाला गया दूध शुद्ध शाकाहार नहीं कहा जा सकता किन्तु कटहल को सदैव माँसाहार नहीं कहा जा सकता क्योंकि अधिकांशतया यह या तो वनोपज होती है .
किसी के आँगन में उगी हुई अथवा खेत में सामान्य तरीके से उगायी गयी होती है, कटहल वास्तव में अनेक पोषकों में समृद्ध होती है, किसी अंधविश्वासवश अथवा इसकी संरचना को माँस जैसी सोचकर इसका तिरस्कार न करें।
इसी प्रकार कई पोषक तत्त्वों में सम्पन्न मशरूम वास्तव में एक कवक (फफूँद) है जिसका अध्ययन पादप-विज्ञान में किया जाता है तथा इसका उत्पादन बिन धूप वाले गीले कमरे में भूसे के ढेर लटकाकर उनमें किया जाता है तो इसका सेवन माँसाहार कैसे हुआ ?
भ्रांति : पपीता व गुड़ इत्यादि का सेवन गर्भावस्था में न करें !
निराकरण : पपीते, गुड़ इत्यादि में अनेक पोषक होते हैं जो जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य के लिये उपयोगी हैं इसलिये थाली में विविधतापूर्ण रूप में सब कुछ खायें ताकि गर्भवती व उसके माध्यम से उसके बच्चे को सभी पोषक तत्त्व सरलता से सुलभ हो सकें एवं बच्चा बड़ा होकर ‘यह नहीं खाना, वह नहीं खाना’ जैसा बहानेबाज़ न निकले.
यदि माता सब कुछ (शाकाहार में) खायेगी तो बच्चे में भी सबका स्वादबोध विकसित होने लगेगा जिससे भविष्य में किसी सब्जी विशेष के प्रति उसका नज़रिया ‘खाने के प्रति अनिच्छुक हो जायेगा’ ऐसी आशंका कम रहेगी।
तो दोस्तों यह लेख था गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी आहार – Pregnancy Diet Chart Tips In Hindi, Pregnancy Me Kaise Aahar Le Hindi Me. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।
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Jay Mishra says
बहु उपयोगी लेख वैसे मेरा मानना है कि कटहल पर मांसाहारी होने का किसी भी प्रकार का सवालिया निशान नहीं लगना चाहिए वस्तुतः इसे शाकाहारी ही माना जाना चाहिए यद्यपि इसका स्वाद कुछ लोगों को मांसाहारी जैसा लग सकता है परंतु यह मांसाहार कदापि नहीं है यह पेड़/ वनस्पति से प्राप्त होता है अतः यह है या शाकाहारी ही माना जाएगा