पेट दर्द ठीक करने के 15 आसान उपाय ! Stomach Pain Pet Dard Reason Remedies In Hindi
Stomach Pain Pet Dard Reason Remedies In Hindi
सीने के निचले भाग से लेकर कमर से ऊपरी भाग में पेट में होने वाली सूजन, ऐंठन व चुभन जैसी अनुभूति को पेट-दर्द कहा जाता है। गम्भीरताओं के स्तरों को देखते हुए आगे बढ़ते हैं। गम्भीर स्थितियों में बड़ी आँत का कैंसर, एपेंडिसाइटिस, गेस्ट्रोईसोफ़ेगल रिफ़्लक्स इत्यादि सम्मिलित हैं।
कम गम्भीर स्थितियों में पेट में वायरल संक्रमण अथवा गैस के कारण ऐंठन, कोष्ठबद्धता(कब्ज़), इर्रिटेबल बाउल सिण्ड्रोम, खाद्य-विषाक्तता के कारण दर्द को गिना जा सकता है।
Stomach Pain Pet Dard Reason Remedies In Hindi
आभासी पेट-दर्द
हृदयाघात्, मासिक स्राव के दौरान होने वाली ऐंठनों, न्यूमोनिया के प्रभाव के रूप में भी ऐसा लग सकता है मानो दर्द का केन्द्र पेट से जुड़ा है; कुछ-कुछ इसी के जैसा मानसिक पेट दर्द भी सम्भव है, जैसे कि हृदय सम्बन्धी दर्द से पेट दर्द जैसी अनुभूति करना अथवा पेट में समस्या से उठी पीड़ा को हृदयरोग जैसा मान बैठना.
इसलिये सुयोग्य चिकित्सक व जाँचों के बिना अपने मन से घर में बैठे-बिठाये घटनाओं को जोड़-जोड़कर अपनी शारीरिक व अपनों की मानसिक परेशानियाँ न बढ़ायें।
पेट दर्द के चार प्रमुख प्रकार
1. लगभग आधे अथवा पूरे पेट में फैला दर्द : स्टमक-वायरस, अपच अथवा गैस के कारण; वैसे तो आँतों में ब्लाकेज हो जाये तो यह अधिक गम्भीर हो सकता है।
2. किसी बिन्दु में केन्द्रित दर्द : एपेण्डिक्स, पित्ताशय अथवा आमाशय जैसे किसी एक अंग की किसी समस्या के कारण पेट के उस भाग में होने वाला दर्द।
3. ऐंठन जैसा दर्द : गैस अथवा पेट फूलने अथवा दस्त के कारण होने वाला दर्द। बहुत घण्टों तक अथवा बुखार के साथ ऐसा होना किसी ख़तरे की घण्टी हो सकता है।
4. तरंगों में फैलता दर्द : हो सकता है कि एकदम से शुरु होने वाला तरंगयुक्त दर्द अचानक समाप्त भी हो जाये जो कि वृक्काष्मरी (किडनी की पथरी) अथवा पित्ताष्मरी के कारण हो सकता है।
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पेट दर्द ठीक करने के उपाय
1. साफ़ पानी प्रचुर मात्रा में पीते रहें.
2. कुछ घण्टों तक ठोस आहार ग्रहण न करें.
3. यदि उल्टी हो तो डेढ़-ढाई घण्टे में ताज़े फल अथवा किसी स्वच्छ अर्द्धतरल का सेवन करें.
4. यदि भोजन के बाद पेट में भारीपन लगे अथवा सीने में जलन हो तो पुदीना, जीरा अथवा सौंफ़ के सेवन से आराम मिल सकता है.
5. किसी दुर्घटना इत्यादि में पेट अथवा आसपास कोई चोट कभी पहुँची हो तो वह भी चिकित्सक को बतायें ताकि आन्तरिक निदान के समय वह चोटों के प्रभावों से सम्बन्ध का अनुमान लगा सके.
6. यदि एसिड-रिफ़्लक्स से समस्या हुई तो तले-भुने खाद्य-पदार्थों व चाय-काफ़ी से यथासम्भव बचकर चलें.
7. विभिन्न प्रकार के मद्य व धूम्रपान सहित गुटखा-खेनी-तम्बाकू कई अन्य गम्भीर बीमारियों के ही साथ विविध पेट व आँत रोगों में भी मुख्य कारक होते हैं. इन शत्रुओं से बचें तो ही किसी इलाज से राहत की उम्मीद की जा सकती है.
8. यदि पेट सम्बन्धी कोई शल्यचिकित्सा करायी हो अथवा कोई चिकित्सात्मक समस्या हो तो वह ऑपरेशन सम्पन्न करने वाले पेट व आँत रोग विशेषज्ञ से मिलें.
9. स्वयं किसी भी कारण कोई दवाई ख़रीदकर न खाते हुए जरुरी जाँचें करवायें, जैसे कि बड़ी आँत अथवा पेट का एक्सरे, पेट का अल्ट्रासाउण्ड, सीटी स्केन, गुदाद्वार से एक नली प्रवेश कराकर की जाने वाली कोलानोस्कोपी, मुख से एक नली प्रवेश कराकर पेट के आन्तरिक भागों को देखने के लिये एण्डोस्कोपी अथवा रक्त, मूत्र व मल परीक्षण.
10. दर्द कभी-कभी होने अथवा कम दर्द होने को कम गम्भीर समझ लेने की भूल न करें, ऐसा देखा गया है कि कई बड़ी बीमारियों के संकेत के रूप में पेट में दर्द कम रहता है अथवा यह भी सम्भव है कि दर्द हो ही न। खाना पचाने वाले एंज़ाइम्स अग्न्याशय (पैंक्रियाज़) को गलाना शुरू कर सकते हैं एवं ऐसे और भी बहुत सारे कारण-प्रभाव हैं जो पेट से जुड़ी बीमारियों से सम्बद्ध हों;
11. फ़ार्मासिस्ट के कहने पर ख़रीदे गये पॅनकिलर्स से भी पेट के कई अंगों पर लोड पड़ता है जिससे उन ड्रग्स के साइड-इफ़ेक्ट्स से पेट के आन्तरिक अंग बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं, वास्तव में तथाकथित पैनकिलर्स दर्द की अनुभूति रोकने के लिये मस्तिष्क को भ्रमित करते हैं, न कि कष्ट के केन्द्र को ठीक करते हैं;
साधारण-सी समझी जाने वाली कई दवाइयों से वृक्क (किड्नी) व यकृत की मूत्र व ख़ून फ़िल्टरॅषन क्षमता ख़राब पड़़ने लगती है क्योंकि दवाइयों के टाक्सिक प्रभावों में इनकी नैसर्गिक शक्ति घटने लगती है; कई मामले तो ऐसे प्रकाश में आये हैं कि जब तक पता पड़ता है तब तक तो काफ़ी देर हो गयी व समस्या ने जड़ पकड़ ली एवं उस अंग को बचाना असम्भव हो गया.
12. जीन्स एवं अन्य टाइट व सिंथेटिक कपड़ों से आजीवन दूरी सहित अधिकांश सावधानियाँ ‘पेट की गैस ठीक करने के घरेलु उपाय’ जैसे ही होंगी, उदाहरणार्थ पेट के बल नहीं लेटना/सोना है.
13. आँत व पेट रोग विशेषज्ञ के पास जाना इसलिये भी आवश्यक है ताकि उसके पास अल्सर व अन्य पाचन-विशिष्ट रोगों को परखने की मेडिकल मशीने उपलब्ध हों, बार-बार यहाँ-वहाँ भागना-भटकना न पड़े, न जनरल फिजिसियंस के पास आये मेडिकल रिप्रज़ेण्टेटिव्स द्वारा उन्हें दी गयी दवाइयों का प्रेक्टिकल एक्स्पेरिमेण्ट आपके पेट पर आसानी से किया जा सके.
14. गर्भावस्था चल रही हो अथवा गर्भधारण की अपेक्षा की जा रही हो तो एकाध बार हुए हल्के-से पेटदर्द में भी गम्भीरता बरतें, यह गर्भस्थ षिषु की किसी असामान्यता का चिह्न हो सकता है.
15. खाद्य व पेय में अदरख व लौंग का सेवन जरुर करें. हर घर की शोभा हरिसेविका तुलसी को आहार में मिलायें, तुलसी ऐसा पौधा होता है जिसकी पकी पत्तियाँ व सूखी टहनियाँ इत्यादि भी अत्यन्त उपयोगी होती हैं (चाय इत्यादि में चायपत्ती जैसे डालने में भी).
नारियल-पानी पीयें, दस्त हो रहे हों तो केला खायें. वैसे भी उल्टी-दस्त हों अथवा पानी की कमी से जनित समस्याएँ केला, इलेक्ट्राल व ओआरएस हर मौसम में साथ निभा सकते हैं. मसाले इत्यादि में दालचीनी बढ़ायें; उबले चावल का रस (मण्ड) पीयें.
16. मलमूत्र आने पर उसे न रोकें, अन्यथा शरीर के इन गन्दी चीजो को यदि बाहर न निकाला जाये तो इनके हानिप्रद अंश पेट व सम्बन्धित अंगों की सतह में अवशोषित होने लगते हैं;
17. आड़े-तिरछे बैठने, ग़लत आसन व मुद्रा में सोने एवं लेटने से भी रीढ़ की हड्डी सहित पेट सम्बन्धी समस्याएँ उपज सकती हैं, अतः अपनी सभी आदतों में सुधार करें।
तो दोस्तों यह लेख था पेट दर्द ठीक करने के 15 आसान उपाय – Stomach Pain Pet Dard Reason Remedies In Hindi, Pet Ka Dard Thik Kaise Kare Hindi Me. यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कमेंट करें। अपने दोस्तों और साथियों में भी शेयर करें।
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Jay Mishra says
भिन्न भिन्न परिस्थितियों में उत्पन्न होने वाले पेड़ दल एवं उनके निवारण के आसान व उपयोगी जानकारी देकर आपने पाठकों के लिए बहुत लाभदायक पोस्ट साझा की है । निश्चित रूप से इससे न सिर्फ पेट दर्द में लाभ उठाया जा सकता है बल्कि विभिन्न परिस्थितियों में की जाने वाली गलतियों और लापरवाहियों से भी बचा जा सकता है ऐसी उपयोगी पोस्ट शेयर करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ।