पुरुष-उत्पीडन के कारण इससे कैसे बचे Male harassment Reason Prevention In Hindi
अन्य समस्याओं जैसे पुरुष-उत्पीड़न के विषय में भी इसके कारणों में निवारण निहित है। सर्वप्रथम यह आवष्यक है कि पुरुष-उत्पीड़न क्या है इसे कैसे समझें। पुरुष-उत्पीड़न को समझ पाना आसान नहीं है, परिभाषा सटीकता से निर्धारित नहीं है; विभिन्न देशो में अलग-अलग कानून हैं। फिर भी यदि किसी पुरुष के साथ निम्नांकित में से कोई व्यवहार किसी पुरुष अथवा स्त्री अथवा समूह द्वारा किया जाता है तो उसे पुरुष-उत्पीड़न के दायरे में रखा जा सकता है.
Male harassment Reason Prevention In Hindi
1. बच्चे या बालक अथवा किशोरवय लड़के के गुप्तांगों को छूना, उसे अपने गुप्तांग दिखाना अथवा छूने को बोलना अथवा उसे असभ्य वीडियो दिखाना अथवा परोक्ष रूप से ऐसा कुछ करना जिससे कि वह ऐसा कुछ आपत्तिजनक देख-सुन ले। यदि इन सबमें बाल्यावस्था से लेकर किशोरावस्था तक के अवयस्क की अनुमति हुई..
उसने ऐसा करने को कहा तो भी इसे पुरुष-उत्पीड़न कहा जायेगा क्योंकि उसमें इतने दूर की सोचने या भविष्य से खिलवाड़ को रोकने की समझ-बुद्धि नहीं होती – ऐसा विश्व के कई देशो में कानूनी मान्यता है।
यदि डरा-धमकाकर अथवा लालच दिखाकर ऐसा कुछ किया अथवा करवाया जाता है अथवा अन्य किसी प्रकार से उसे ऐसा करने को उकसाया जाता है तो भी कठोर वैधानिक कार्यवाहियाँ करने का प्रावधान है तथा बाल-अपराध-उन्मूलन कानूनों एवं बाल-यौन-शोषण रोकथाम से सम्बन्धित कानूनों के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है जिसमें भारी जु़र्माने सहित वर्षों का कारावास सम्भव है।
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2. प्रमोशन के लिये ललचाकर अथवा डिमोशन करने या किसी बहाने Payment घटाने इत्यादि के माध्यम से बॉस अथवा बॉस की पत्नी द्वारा समलिंगी अथवा विषमलिंगी सम्बन्ध बनाने को कहना भी पुरुष-उत्पीड़न के दायरे में आयेगा।
यदि पुरुष -महिला सहकर्मी किसी लाभ या समर्थन के लिये ललचाकर अथवा घाटा उठाने की आशंका दिखाकर कोई लैंगिक प्रयास करते हैं अथवा बॉस इत्यादि द्वारा अलैंगिक प्रकार से आर्थिक भय दिखाया जाता है अथवा अन्य कुछ करने को कहा जाता है जो पुरुष शरीर से सम्बन्धित हो तो वह भी पुरुष-उत्पीड़न कहलायेगा।
3. कोई बात मनवाने अथवा किसी बात से रोकने के लिये पत्नी द्वारा अथवा उसके मायके पक्ष द्वारा पुरुष अथवा पुरुष के मायके को दहेज-विरोधी कानून में फँसाने की धमकी अथवा ऐसे झूठे मामले में फँसाना भी पुरुष-उत्पीड़न है।
4. अपने साथ अथवा किसी अन्य के साथ यौन सम्पर्क करने के लिये विवश करने का प्रयास भी पुरुष-उत्पीड़न का एक प्रकार है।
5. बिना किसी बड़ी बात के अथवा बात-बात पर ” मैं मायके चली जाऊँगी ” बोलना अथवा पति के शरीर इत्यादि के बारे में बारम्बार अथवा अनावश्यक टिप्पणी करके उसे मानसिक रूप से परेशान करना भी पुरुष-उत्पीड़न का एक रूप है। छुपाने से समस्या का बढ़ना- तथाकथित संगी-साथियों, रिश्तेदारों इत्यादि द्वारा मर्दानगी पर शक करने इत्यादि तानों के कारण पुरुष खुलकर सामने
नहीं आते एवं समस्या बढ़ती जाती है।
पुरुष-उत्पीडन का समाधान कैसे ?
1. विवाह-पूर्व परामर्षणः सगाई इत्यादि से पहले ही एक-दूसरे से एवं दोनों परिवारों से पर्याप्त विचार-विमर्श आवश्यक है ताकि अतीत खँगालते हुए भविष्य की सम्भावनाओं को टटोला जा सके तथा बाद में ” का वर्षा जब कृषि सुखाने” अथवा ” अब पछताये होत का जब चिड़िया चुग गयी खेत ” जैसी स्थितियाँ आने से यथासम्भव बचा जा सके।
विशेष रूप से आर्थिक पूर्तियाँ, शादी के बाद कहाँ कुल कितने लोग रहेंगे, कब-कब कहाँ कितना आना-जाना लगा रहने की सम्भावना है; यदि कोई पारिवारिक विपदा आयी तो किस सदस्य की कितनी ज़िम्मेदारी किस सदस्य पर आने की सम्भावना होगी इन सब विषयों की चर्चा खुलकर पहले ही कर लेनी आवश्यक है।
2. क्या कहेंगे लोग : सबसे बड़ा रोग को मानें एवं दूसरों की अवांछनीय टीका-टिप्पणियों की परवाह करना छोड़ें, ध्यान रखें कि आपके बारे में इस प्रकार के विचार रखने वाले आपके हितैषी नहीं हो सकते।
3. लिफ़्ट माँगते या लिफ़्ट देते समय सावधानी बरतें, हर बार तो नहीं लेकिन कई बार ऐसे लोग समलैंगिक होते हैं जो गाड़ी में बैठने पर गुप्तांग में हाथ फेरने अथवा ख़ूब चिपक कर बैठते हुए व्यक्ति को रिझाने की कोशिश करते हैं तथा फिर किसी एकान्त अथवा कमरे में आने या ले चलने को बोलकर कहीं-न-कहीं वीडियो रिकार्डिंग करके ब्लैकमेल करने की कोशिश करते हैं तथा लैंगिक व आर्थिक शोषण करके जीवन नाश कर सकते हैं।
4. किसी से भी अनावश्यक नज़दीकियाँ न बढ़ायें फिर चाहे वह अनजान हो अथवा कोई परिचित अथवा रिश्तेदार अथवा कोई घनिष्ट।
5. किसी के बहकावे या उकसावे में न आयें, न ही व्यर्थ ही उधारी का देन-देन करें। महँगे उपहार देने वालों से दूर रहें तथा बारम्बार आर्थिक सहयोग करने जैसे भाव वाले व्यक्तियों से भी विशेष सावधानी बरतें, अन्यथा भविष्य में वह अपनी किसी दबी चाहत को मनवाने के लिये आप पर घोषित या अघोषित दबाव बना सकता है अथवा किसी प्रकार से ‘एक हाथ ले, एक हाथ दे’ जैसी बातों की ओर ले जाने का प्रयास कर सकता है।
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6. मानसिक उकसाहट, आर्थिक लाभ, पारिवारिक दबाव अथवा अन्य किसी भी कारण से वैश्यावृत्ति व पुरुष-वैश्यावृत्ति, बंधुआ-मज़दूरी, देह-व्यापार इत्यादि की ओर न बढ़ें।
7. ” मैं ख़ुद सँभाल लूँगा ” मानसिकता छोड़ें; सहायता प्राप्त करने, फ़ोन द्वारा ढंग के लोगों के सम्पर्क में रहने से परहेज न करें।
8. तथाकथित रैगिंग अथवा इण्ट्रोशन के नाम पर सीनियर्स की कठपुतली न बनें, किसी की अनैतिक माँग पर मौन न रहकर तुरंत मनाही करते हुए अलग हो जायें।
9.‘मर्द को दर्द नहीं होता’ जैसी भ्रांतियाँ तोड़ें, अपनी और दूसरों की भावनाओं-संवेदनाओं व शरीरों का ध्यान रखें; दर्द बताने या जताने पर यदि लोग ‘कमज़ोर’ होने की उलाहना दें तो भी उनकी बातों को मन में न रखें।
10. लज्जा केवल स्त्रियों का आभरण नहीं होती, परिचित-अपरिचित किसी के सामने कपड़े न बदलें, न ही किसी की दृष्टिगोचरता में मूत्रोत्सर्ग करें।
11. अब ‘सतर्कता’ केवल स्त्रियों ही नहीं बल्कि पुरुषों के भी लिये आवश्यक है, जो पुरुष पुरुष-उत्पीड़न का दंष झेल चुके हैं वे इस बात से स्पष्टतः अवगत होंगे।
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Technical Education says
Nice Surendra mahara bor, Thanks for sharing tips and tricks.
Avinash nandvanshi says
ये घरेलु नुस्खे आपकी सेहत को ख़राब नहीं होने देंगे