सुखी जीवन जीने का ऑफलाइन तरीका How To Live Offline Life In Hindi
जब अपनी किसी इच्छा को जरूरी घोषित करने का प्रयास किया जाता है जो जीवन की परिस्थितियों व उनके प्रति दृष्टिकोणों में अतिगम्भीर बिगड़ाव आ ही जाते हैं। सुविधा व सरलता के नाम पर अधिक से अधिक कार्यों को Online करने की कोशिश इसी का एक ज्वलन्त उदाहरण है.
जिससे विभिन्न देशो व संस्कृतियों के बच्चे, शिक्षार्थी, युवा, प्रौढ़, दम्पति, बुज़ुर्ग सभी भिन्न-भिन्न मानसिक, शारीरिक, सामाजिक व पारिवारिक विकृतियों एवं समस्याओं से जूझ रहे हैं.
आइए इस बार Offline रहने के सरल तरीके जानें एवं अपने आपको जीवनभर के लिये ओफ़लाइन एवं सच्चा सुखी बना दें। इस आलेख के साथ अन्य आलेख भी पढ़ें- ‘ओनलाइन होने के ग़ैर-इरादतन नुकसान’, ‘मित्रों या परिजनों व रिश्तेदारों में बर्बाद जीवन’, ‘तुलना बड़ी बुरी बलाय’, ‘जीवनसाथी या संतान पर नज़र रखने की 11 युक्तियाँ’ इत्यादि।
How To Live Offline Life In Hindi
1. सर्वप्रथम खुद के अंदर करके रिक्त स्थान भरें :
मैं कब-कब ……., कितनी-कितनी अवधि …………. के लिये व क्यों ………………… ओनलाइन होता या होती हूँ ?….. तथाकथित अपडेट रहने इत्यादि बहानों की आड़ में विभिन्न सोशल मीडिया या ओनलाइन प्रोफ़ाइल्स में Active रहने के दौरान मेरे पास कई इन्वाइट्स, वीडियो, आडियो, Information, न्यूज़ आयीं जिनमें से … प्रतिशत ही वास्तव में मेरे लिये निजी रूप से उपयोगी व सार्थक रही होंगी। मैंने जीवन में आज तक …… घण्टे या दिन ओनलाइन गुज़ार डाले।
2. अब ज़रा इन तथ्यों पर ज़ोर डालें :
संसार में जिनके भी पास इन्टरनेट कनेक्शन होता है उनका मन चॅटिंग, सोशल मीडिया, ओनलाइन शापिंग इत्यादि में डोलने की आशंका बनी ही रहती है। व्यक्ति चाहे प्रत्यक्ष रूप से किसी अपराध अथवा अनुचित गतिविधि की पहल न भी करे तो भी इरादतन या ग़ैर-इरादतन रूपों में समाचारों, तथाकथित संगी-साथियों के फ़ालतू के ओनलाइन मैसेजेज़ व मीडिया से उसके अवचेतन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे ही पड़ेंगे।
Internet के सैकड़ों मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, आध्यात्मिक, चारित्रिक, पारिवारिक, स्वास्थ्यगत, सामाजिक, शैक्षणिक, कार्य-उत्पादकतागत इत्यादि दुष्प्रभावों के जाल की बात करना शुरु हुए जो जाने कितनी किताबें भर जायें, हम यहाँ समाधान की ही बात कर रहे हैं। यह बात भी जगजाहिर है कि चाहे देश या अन्तर्राष्ट्रीय Cyber System कितनी की चाक-चैबंद क्यों न हो वास्तव में व्यक्ति Online होते ही अनजाने में बहुत सारे जोख़िमों से घिर जाता है.
आपके पार्सवड्र्स इत्यादि कई एजेन्सियों के पास अपने आप पहुँच रहे होते हैं एवं खुली तिजोरी के सुरक्षित होने का भ्रम पालने वाला महामूर्ख ही होगा। बच्चे या जीवनसाथी के हाथ में तथाकथित स्मार्टफ़ोन अथवा इन्टरनेट होने का अर्थ होगा कि वह हाथ से निकल रहा है; यह उसके अपनों के लिये गम्भीर ख़तरा है।
इंटरनेट ने कइयों के तलाक कराये हैं, कई घर फ़ोड़े हैं एवं बच्चों को माता-पिता से दूर किया है। चँचल मन की प्यासी आशाओं को हवा देने का ग़लत काम मोबाइल ने बढ़-चढ़कर किया है।
3. स्मार्टफ़ोन प्रयोग करे पर डाटापैक नहीं :
अगर आप स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल कर रहे है तो उसमे Data pack कभी न डलवायें, न ही वाईफ़ाई इत्यादि का प्रयोग करें, सभी ओनलाइन मैसेन्जर्स व गेम्स सहित विभिन्न एप्स इत्यादि को तत्काल सदा के लिये Uninstall कर दें। इंटरनेट पर आपकी बस एक ही ईमेल ID हो, शेष सबकुछ ( सारे प्रोफ़ाइल्स इत्यादि ) को सदा के लिये जड़ से अलविदा कह दें। Mobile या Laptop इत्यादि में कुछ रखना ही है तो धार्मिक गीत-संगीत, भजन व धर्मसंगत तस्वीरें इत्यादि रखें, बस और कुछ नहीं !!
4. शपथ ले :
अब शपथ ग्रहण करें कि जीवन में ओनलाइन कम से कम ही होंगे। हालांकि आजकल Internet Searching सुविधायुक्त 2 जी सिम्पल फ़िएचर फ़ोन आ गया है परन्तु मैं फिर भी दोहराऊँगा कि Offline ही हमेशा है बेहतर। कोई ऑफिसियल फ़ाइल ट्रांसफर या भण्डारित करनी हो तो ब्लूटूथ अथवा पेनड्राइव द्वारा ओफ़लाइन Transfer की जा सकती है, इस प्रकार शारीरिक सक्रियता का लाभ भी होगा।
How To Live Offline Life In Hindi
5. सिम्पल फ़ोन यूज़ करे :
यथासम्भव सिम्पल फ़िएचर फ़ोन प्रयोग करें। यह न सोचें कि पुराने ज़माने जैसे जिऊँ क्या अथवा लोग क्या कहेंगे अथवा मेरे लिये ऐसा मुश्किल है। ओनलाइन-सुविधा कभी-कभी एवं कुछ सीमा तक उपयोगी अवश्य है किन्तु इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर न बैठें.
ओनलाइन जरुरतो (वास्तविक आवश्यकता, न कि आपकी इच्छा व बहाने) को सिमटाकर एक माह में अधिक से अधिक कुल 3-4 घण्टे अथवा और कम रखें तथा इसे भी स्वयं न करते हुए निम्नांकित प्रस्तावित विषेषज्ञ से करा लें।
एसएमएस का महत्त्व कम न समझें, ध्यान रहें कि इसके लिये ओनलाइन होने की जरुरत नहीं होती, यह तुरंत प्राप्त हो जाता या भेज दिया जाता है एवं वास्तव में उपयोगी जानकारी को Text में भी अच्छे से लिखकर बड़ी आसानी से भेजा व प्राप्त किया जा सकता है। ओनलाइन की ओर जबरन बढ़ने के बहाने ढूँढने से बाज़ आयें।
6. मनोरंजन के लिए क्या करे :
टी.वी. सहित विभिन्न पारिवारिक शुल्कों या किराये, मेरे वायस एवं एसएमएस वाउचर इत्यादि के भुगतान के लिये क्या ? इसमें ओनलाइन होने की कोई जरूरत नहीं. सूचना-प्रौद्योगिकी अथवा इण्टरनेट के जानकार अथवा किसी Expert इन्टरनेट – कैफ़े चलाने वाले को मासिक भुगतान करते हुए ये कार्य सौंप दें जो आपके एक कालमात्र से ये सब कार्य दक्षता, शीघ्रता व प्रामाणिकता से कर लेगा एवं आपके जीवन में समय, श्रम, ऊर्जा व धन सबकी बड़ी बचत हो जायेगी।
यह कार्य किसी निर्धन को सौंपना अधिक ठीक रहेगा, उसकी कुछ कमायी हो जायेगी एवं इन्टरनेट -प्रयोग से आप बचेंगे सो तो है ही। रेल्वे का रनिंग स्टेटस पता करना हो तो भी इस व्यक्ति को Call करके तुरंत पूछा जा सकता है। जहाँ तक रही बात Update रहने की तो वह तो आप अख़बार, रेडियो इत्यादि से भी रह सकते हैं, वैसे इनकी भी क्या जरूरत है.
वास्तव में यह व्यक्ति व आपके अपने आपको आपसे जुड़ी बात Sms व Call द्वारा बता ही देंगे, बिन बात के Internet को जरुरत घोषित करने की आदत अब तो छोड़ ही दें।
जहाँ तक अति गोपनीय फ़ाइलिंग ( जैसे कि कर चुकाने अथवा अन्य आर्थिक संवेदनशील विषय ) हों वहाँ इण्टरनेट कैफ़े ( महीनेभर में न्यूनतम बार, वह भी एक साथ कई अनिवार्य व धर्मसंगत कार्य लेकर ) जाकर स्वयं कार्य कर लें। शपथपूर्वक वही कार्य करके निकल जायें, और कुछ सर्च, सर्फ़, चेक न करने बैठ जायें। यदि शब्दकोष के लिये इण्टरनेट आवश्यक लगे तो ऑफलाइन शब्दकोष रख लें, वैसे हार्ड कापी अर्थात् पुस्तकरूपी शब्दकोष अधिक उपयोगी रहते हैं।
सच में जरूरत न हो तो लॅपटाप न ख़रीदें. यदि कोई आवश्यक वस्तु स्थानीय रूप से न मिल रही हो तो भी स्वयं ओनलाइन न होते हुए किसी एक्सपर्ट से यह कार्य करायें जो मुझ व आपसे अधिक अच्छे से मोलभाव भी कर सकेगा एवं अधिक विकल्पों का ज्ञान व अनुभव उसके पास होगा जिनके बारे में वह हमें बताते व हमसे पूछते हुए निर्णय कर सकेगा, हमसे बेहतर निर्णय।
7. इसका प्रभाव :
उपरोक्त नियमों को दृढ़ता से आजीवन के लिये मानकर आप पायेंगे कि जीवन कितना सहज हो गया है. पहले नज़रें मोबाइल में नीचे धँसी रहती थीं, अब सिर उठाकर जी रहे हैं.
पहले थोड़ी-भी फ़ुर्सत अथवा दैनिक कामकाज के दौरान भी मोबाइल को पकड़ लेते थे, अब आसपास का परिवेश, सुरक्षा व पेड़-पौधे देखते हैं, जीवन कितना आसान हो गया है। ढेर सारी मानसिक-शारीरिक ऊर्जा, समय, श्रम, ध्यान की बचत हो रही है
अवचेतन-प्रदूषण से काफ़ी सीमा तक बचाव हो रहा है। अब कार्यालय व घर में भी अपना जीवन ऑनलाइन प्रपंचों से मुक्त हो गया है, अब वृक्षारोपण, ध्यान-मनन, सब की सही कार्यों में सहायता करने इत्यादि जैसे सकारात्मक कार्यों में हम पूरे मनोयोग से लग सकते हैं।
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Brijesh says
Aaj ki duniya me 90% log internet ki bimari laga kr lachar Banya ja raha. eske dushparinam humare vichoro, mansikta, , sharir ho raha hi. Ye to baldpersue, shugar, jaise ho gayi roj davai lo to body kaam kre gi.. (bimari bhi inki ilaj bhi Inka Paisa humra)
kunbal chauhan says
pahle diin bahut acche hua karte the parantu ab pata hi nahi chalta
shyam kumar says
sir, pata nahi kaha chale gaye wo din jab hum offline raha karte the
Yogendra Singh says
Phone ke baare me bataya achha laga.