किशोरावस्था में की जाने वाली 5 लैंगिक ग़लतियाँ और ग़ुनाह Teenager 5 Big Sexual Mistake In Hindi
Teenager 5 Big Sexual Mistake In Hindi
किशोरावस्था उम्र का एक ऐसा पड़ाव है जहाँ एक बच्चा अपने बचपन से बड़ा होकर जवानी की दहलीज पर पहला कदम रखता है. शरीर से वह भले ही जवान हो गया हो लेकिन बुद्धि से वह बच्चा ही होता है.
यही वह पल होता है जहाँ पर वह कई गलतियाँ कर देता है जिससे उसे काफी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते है. इस उम्र में अगर कोई व्यक्ति सम्भल गया तो वह ताउम्र आत्मविश्वास से हर कार्य में सफल रहता है. इस उम्र में आपको सावधान रहने की आवश्यकता है और काफी चौकस रहना होता है.
वैसे तो यह लेख जीवन के हर पड़ाव के लिये है क्योंकि लैंगिक ग़लतियों व ग़ुनाहों से सभी को दूर ही रहना चाहिए। किन्तु किशोरावस्था जीवन का ऐसा पड़ाव है जब बड़ों से दो विरोधाभासी ताने सुनने पड़ते हैंः ”अपने आपको कुछ ज़्यादा ही बड़े समझने लगे हो“; ”अब तो बड़े हो चुके हो“।
यह पड़ाव मानवों के बिगड़ने का बड़ा दौर होता है क्योंकि व्यक्ति व्यर्थ के कौतुक में उलझकर तो कभी अपने को ‘मैं बच्चा नहीं रहा’ साबित करने की फ़िराक में कुछ ग़लतियाँ व ग़ुनाह तक कर बैठता है, विशेष रूप से लैंगिक रूप में; यहाँ आपको यही समझाने की कोशिश हो रही है कि करने वाला छोटा हो.
Teenager 5 Big Sexual Mistake In Hindi
किशोर या बड़ा अनुचित तो अनुचित ही होता है; एक-एक करके कुछ बातों का विवरण पेश करते हुए एक प्रयास करते हैं कि लैंगिक ग़ुनाहों व ग़लतियों दोनों से कैसे बचकर चलें –
1. मर्दानगी की सनक
दोस्तों के भेष में छुपे असली दुश्मनों व टी.वी. के प्रभाव में आकर व्यक्ति को यह भ्रम होने लगता है कि मैं बड़ा हो गया हूँ और एक लड़का भी हूँ इसलिये सेक्सुअल एक्टिविटी में उतरना स्वाभाविक है या फिर मेरी आवश्यकता है जबकि असलियत तो यह होती है कि सेक्स न तो मर्दानगी साबित करने, न ही अपना बड़ा होना जताने का तरीका है। वास्तव में सेक्स का विचार शादीशुदा दम्पति के बीच सोचने की बात होती है। शादी से पहले अपना कौमार्य भंग करना कोई पौरुष की निशानी नहीं बल्कि कलंक है।
2. यौनाकर्षण को सहज-सामान्य मानने की मानसिक दशा
वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता, अर्थात् सेक्स के बारे में सोचने पर ही व्यक्ति को यौनाकर्षण जैसी अनुभूति होगी, आयु अथवा जेण्डर से इसका कोई सम्बन्ध नहीं, इसलिये ”इस उमर में ऐसा होना स्वाभाविक है“ वाली ग़लत मान्यता को तोड़ें।
3. ” म ” शब्द से दूर रहे
ये ‘म’ महाख़तरनाकः ‘म’ से मोबाइल, ‘म’ से मैथुन (विशेष रूप से हस्तमैथुन), ‘म’ से मदिरा, ‘म’ से माँस, ‘म’ से मादकद्रव्य, ‘म’ से मोह, ‘म’ से मनोभ्रम (ख़ासतौर पर महिला-पुरुष सम्बन्धों को एक ही नज़र से देखने से सम्बन्धित), ‘म’ से मनगढ़ंत (बेसिर-पैर की धारणाएँ), ‘म’ से महिमामण्डित करना (बातों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने लगना/मिर्च-मसाला लगाना) के कारण पूरी ज़िंदगी मुश्किल (यह भी ‘म’ से) में पड़ती जाती है।
इन सबकी शुरुआत अधिकांश मामलों में किशोरावस्था से होती है; पहली बार तथाकथित स्मार्टफ़ोन हाथ में आया तो उसमें Internet Connection का ज़ोर डालकर वीडियो, चॅटिंग, Whatsapp,वर्चुअल और रियल महिला और मैथुन की खोज, ‘एक बार तो पी/खा के देखूँ’मानसिकता के चक्कर में मद्यपान/अण्डा-माँस का कु-आरम्भ, बिन बात के कुतूहल के वशीभूत हो अवैध ड्रग्स की चाहत.
मैथुन(सेक्स) के बारे में सोचकर लड़कियों/लड़की से जुड़ाव, फिर इस मिथ्या आकर्षण/मोह को प्यार समझने की भूल, अपनी ग़लत बातों व चाहतों को आवश्यकता का नाम देने अथवा सही साबित करने के लिये मन से गढ़ी गयी भ्रामक मान्यताएँ, पाश्चात्य आधुनिकता की आड़ में सेक्स को भी सही सिद्ध करने के लिये इससे सम्बन्धित क्रियाकलापों को महिमाण्डित करने को कोशीशे, जैसे कि यह बोलना कि कई डाक्टर्स हस्तमैथुन, लिमिट में सेक्स व शराब को ठीक मानते हैं.
परन्तु वास्तव में किशोर तो क्या बड़े-बड़े भी इतनी सी बात नहीं समझ पाते कि ग़लत तो ग़लत ही होता है एवं अनैतिक भी अनैतिक ही होता है; क्या आप या मैं अपने माता-पिता, भाई-बहन, बेटा-बेटी इत्यादि परिजनों को उपरोक्त कृत्यों के साथ सहज स्वीकार कर सकते हैं ? नहीं ना !
बस अन्तरात्मा सच ही कहती है। यदि आधुनिक चिकित्सा-वैज्ञानिक रूप से देखें तो भी पोर्न कभी-कभी देखने मात्र से भी शारीरिक, मानसिक, लैंगिक इत्यादि कुप्रभावों का लम्बा-चैड़ा जाल तैयार हो जाता है यह अब पश्चिमी जगत् में भी सर्वमान्य तथ्य के रूप में स्वीकारा जाने लगा है।
जिस चीज़ को सोचना और/या देखना भी इतना घातक हो उसे करना तो अपेक्षाकृत और अधिक नुकसानदेह होगा ही, इसमें किसे संशय हो सकता है। नयीचेतना में ‘बच्चों में अच्छे संस्कार कैसे डालें’आलेख भी अवश्य ही पढ़ें।
4. मूँछ आना मतलब जवानी नहीं
दाढ़ी-मूँछ के निशान आते ही आसपास के लोग बातें करने लग जाते हैं – ”लड़का जवान हो रहा है“; यहाँ तक कि परिचित/अपरिचित औरतें भी यौन-छेड़छाड़ कर सकती हैं कि तू बड़ा होकर भी सिगरेट नहीं दूध पीता है, मम्मा’ज़ बाय कहीं का, क्या तुमने अभी तक नारीतन को नहीं छुआ, ये तो अब तक विर्जिन है रे ! इस तरह की मूर्खतापूर्ण टिप्पणियों को हमेशा नज़रअंदाज़ करें, मन में न जमने दें.
यदि आप इनकी बातों को गम्भीरता से सोचेंगे तो ग़लती कर रहे होंगे जिससे आशंका हो जायेगी कि आप उनकी बातों को अमल में लाकर ग़ुनाह कर बैठें, ग़लत बातों को सुन कर या उन पर अमल करके अपने चरित्र में मल (गंदगी) न लगने दें। थोड़ी देर के लिये यदि यह मान भी लें कि मूँछों का आना जवानी की निशानी है तो भी इतना तो समझ आना चाहिए कि जवानी जीवन में बहुत कुछ अच्छा, सच्चा, सकारात्मक व सार्थक करने के लिये है, यौन-गतिविधियों में अपनी यौवन-ऊर्जा को खपाने के लिये नहीं।
5. बहुमत को ‘अच्छे की कसौटी’न समझें
किशोरावस्था में यह देखा जाता है कि पीयर-प्रेशर या मीडिया में छाये चलन के आधार पर लोग ऐसा मान बैठते हैं कि सब चलता है अथवा इसे इतने सारे या लगभग सभी लोग करते हैं तो इसमें क्या बुराई परन्तु हमें समझना होगा कि बहुमत तो सरकारों को भी सही साबित नहीं कर सकता तो फिर लोगों की मान्यताओं के आधार पर किसी बात को सही कैसे माना जा सकता है.
ऐसे तो हमारे मन में कुत्तों का शासन हो जायेगा (जो समाज में बहुमत में हैं) परन्तु होना तो तेंदुए का शासन चाहिए (जो कि दिखावेरहित एकान्त व अपने विशेष अस्तित्व की निशानी है)। समाजरूपी नाले की धार में बहने के बजाय यह सोचें कि आपके स्थान पर साक्षात् भगवान् होते तो क्या करते ! आपको सही उत्तर अपने आप मिल जायेगा।
कैसे पहचानें कि लैंगिक ग़लती व लैंगिक ग़ुनाह में क्या अन्तर है एवं दोनों से सफलतापूर्वक कैसे बचें ?
कोई लैंगिक बात/विचार (न कि कृत्य) अनजाने में या ग़ैर-इरादतन रूप से या अचानक सामने आया हो तो उसे लैंगिक ग़लती कह सकते हैं, जैसे कि बस में बैठकर संगी-साथी नग्न वीडियो देख रहे एवं आपकी नज़र उस पर पड़ी तो यह आपकी ग़लती है इससे बचने के लिये आप सीट बदल सकते हैं लेकिन यदि आप स्वयं वहाँ से नहीं हट रहे, न ही सफल विरोध कर रहे तो आप अपनी ग़लती को बढ़ाकर ग़ुनाह में बदल रहे हैं।
आप साथियों के साथ कहीं गये और उसने धोखे से (आपसे छुपाकर) आपको कुछ ग़लत खिला-पिला दिया तो आपको आगे से सावधानी बरतनी है ताकि अनजाने में हुई यह भूल/लापरवाही/ग़लती दोहरायी न जा सके किन्तु यदि आप इसे दोहराने देते हैं या स्वयं दोहराते हैं तो यह ग़ुनाह होगी। अनजाने में हुई भूल-चूक(जैसे ऊपर का उदाहरण) को तो फिर भी माफ़ किया जा सकता है.
हमें भी बिसरा-भुला देना चाहिए परन्तु जान-बूझकर वैसा होने देना या दोहराना ग़ुनाह है, जानबूझकर न तो ग़लती करनी है, न ग़ुनाह, ग़लती से ग़ुनाह की तरफ़ सज़ा बढ़ती जाती है फिर चाहे इसे स्वास्थ्यगत हानि के रूप में देखें, मानसिक घाटे के सन्दर्भ में, आत्मग्लानि के नज़रिये से अथवा वैज्ञानिक पहलू से या फिर वैधानिक दृष्टिकोण से।
निवेदन- आपको Teenager 5 Big Sexual Mistake In Hindi, किशोरावस्था की 5 लैंगिक ग़लतियाँ गुनाह – 5 टिप्स, Teenage Ki 5 Galtiyan Hindi Article पढ़कर कैसा लगा. आप हमें Comments के माध्यम से अपने विचारो को अवश्य बताये. हमें बहुत ख़ुशी होगी. किसी भी किशोरावस्था-सम्बन्धी समस्या व जिज्ञासा-समाधान के लिये मार्गदर्शक से सम्पर्क किया जा सकता हैः 9425605432
@ हमारे Facebook Page को जरूर LIKE करे. आप हमसे Youtube पर भी जुड़ सकते है
Tiharu says
Bahut achha laga
Yogesh says
Hi my name is yogesh and from today i will leave this bad thinking and make a good boy because my parents think that i am a very good boy and i will do great for them but i will cheat them . Sorry for this biggest mistake in my life but from today i will mever do this and make a very good boy in my life.