पेट की गैस ठीक करने के घरेलु उपाय How To Relieve Gas Pain Stomach In Hindi
How To Relieve Gas Pain Stomach In Hindi
दोस्तों, आज जिस तरह की लाइफ स्टाइल और हमारा खानपान हो चूका है उससे ढेर सारी बीमारियाँ होने लगी है. चाहे कोई बुजुर्ग हो या छोटी उम्र का बालक. कब कौन सी बीमारी किसे लग जाए कुछ कहना आसान नहीं है. ऐसे ही एक गंभीर समस्या जो आजकल बहुत तेजी से बढ़ रही है वह है पेट में गैस का बनना. जो की आपका चैन तो छिनती ही है साथ ही साथ यह आपके पेट में दर्द भी करती है. यह समस्या होने पर न खाने का मन करता है और न कुछ काम करने का.
जिसके फलस्वरूप आपका दिन बर्बाद हो जाता है और आप खुद को हारा हुआ Feel करने लग जाते है. यह समस्या जहाँ सुनने में मामूली सी लगती हो लेकिन जिसे यह समस्या होती है वह इसके कारण बहुत ही परेशान रहता है जो की आपको फिजिकली और मानसिक तौर पर अधिक बीमार बना देता है.
इस Article में आज हम आपको इस समस्या से उबरने और इस दूर करने के कुछ सरल उपाय बता रहे है जिन्हें अगर आप सही ढंग से अपनाते है तो आपको इसका निश्चित फायदा मिलेगा.
How To Relieve Gas Pain Stomach In Hindi
पुराने ज़माने के लोग कह गये लाख टके की यह बात
हर कौर चबाओ उतनी बार जितने जबड़े में दाँत
(अर्थात् कम से कम बत्तीस बार)
पाचन के दौरान पेट में गैस तो बनती-मिटती रहती है जिसमें वास्तव में हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन- डाईऑक्साइड व मीथेन का मिश्रण होता है। गैस के उपचार से पहले आइए जान लें कि ऐसा क्या करें कि गैस एक समस्या का रूप धारण न कर पाये और आपके लिए गैस की यह समस्या अधिक गंभीर न बने ; इसके लिए आपको सर्वप्रथम पाचन के वे नियम हमेशा पूरी तरह से मानने हैं, सिर्फ मानने की कोशिश नहीं करनी है उनकी बात करेंः-
1. खड़े होकर पानी मत पीयें, न खायें।
2. स्ट्रा (Straw) अथवा बोतल, विषेष रूप से स्पोर्ट-बोतल से यथासम्भव पानी न पीयें।
3. खाना खाने के बाद घूँटभर से अधिक पानी न पीयें, अन्यथा पेट के पाचक-तरल भोजन को पचाने का कार्य ठीक से नहीं कर पाते, अतः 25-40 मिनट्स बाद पानी पीयें।
4. पर्याप्त पानी पीयें किन्तु एक बार में ढेर सारा पानी पीने से यथासम्भव बचते हुए कई बार पानी पीयें।
5. रात को खाने के बाद सोते समय हमेशा बायीं करवट सोयें। इससे आपका खाया हुआ खाना आसानी से पच जाता है.
6. भोजन की बात कर रहें हो अथवा नहीं, पेट के बल कभी नहीं सोना चाहिए।
7. मुख को ऊपर की ओर करके पानी को सीधे गले में ले जाने का ‘किशोरावस्था-जनित आदतन प्रयास यानी छोटे बच्चो की तरह हरकते’न करें।
8. कम से कम प्रोसेसिंग वाला खाना खायें, जैसे की मैदे के बजाय साबुत अनाज के बिस्कुट खरीदें, बारीक़ छाननी से आटा न छानें एवं चोकर को भी किसी न किसी रूप में भोजन में अपना सकते हैं।
9. खाना कुनकुना खायें (न कि बिल्कुल ठण्डा अथवा गर्म), गर्म चाय या खाना एकदम से मुख के भीतर न लायें, चुस्की लेते हुए भी नहीं।
10. चॅविंग गम व सोडा जैसे पेट-शत्रुओं को दूर रखें।
11. चाय-काफ़ी कम पीयें एवं खालीपेट तो बिल्कुल भी नहीं। काफ़ी में दालचीनी व चाय में सौंफ़-सौंठ मिलाकर पीने से पेट की समस्याओं को कुछ रोका जा सकता है।
12. धूम्रपान, तम्बाकू व हर प्रकार का मद्य इत्यादि कार्बोनेटेड पेय, सोफ़्ट/कोल्ड ड्रिंक्स, जंक/फ़ास्ट फ़ूड, अण्डा इत्यादि सभी प्रकार के माँसाहार से दूर रहें।
13. जबरन ठूँस-ठँसकर खाने से बचें, बिना ठीक से चबाये व हड़बड़ी में ऐसे न खायें मानो अभी ट्रैन पकड़नी हो; वैसे भी हमारे पास जुगाली करने वाले पशुओं जैसे पहले से खाये हुए को पुनः ऊपर लाकर फिर से चबा सकने का तन्त्र नहीं होता; एक बार में पेट को गले तक भर लेने जैसी मात्रा में न खाते हुए यदि खाना चोरी चले जाने की आशंका भूलते हुए कुछ घण्टों के अन्तराल से अनेक बार खायेंगे तो ठीक रहेगा।
14. जीन्स इत्यादि सिंथेटिक व कसे कपड़ों से दूर रहें।
15. हो सके तो फ्रि़ज का पानी न पीते हुए मटके का पानी पीया करें।
16. हँसते-लड़ते-बातें करते व अतिरेक भावावेग में भोजन-पान यथासम्भव न करें।
17. निर्धारित समय पर एवं मलवेग होने पर शीघ्र शौचालय जायें।
18. शारीरिक सक्रियता बढ़ायें : ज़रा-सी बात के लिये तथाकथित स्मार्टफ़ोन अथवा इन्टरनेट न चलाने लगे. अँगुलियाँ बढ़ाकर ऑनलाइन मैसेंजर इत्यादि के बजाय यदि कदम बढ़ाकर Bluetooth से फ़ाइल-ट्रांसफर करें तो ‘बैठकर जीने वाली दिनचर्या’ से दूर सक्रिय जीवन-शैली को अपनाना सरल हो जायेगा; नेट पैक अथवा साधारण फ़िचर Phone तक सीमित रहें तो इससे आपकी जीवन, प्राण व ध्यान ऊर्जाओं एवं समय की बचत होगी तथा शारीरिक सहित मानसिक जड़ता मिटेगी;
19. जिमिंग/बाडी-बिल्डिंग जैसी कृत्रिमता से दूर रहकर साइकिल चलायें, रस्सी कूदें.
20.नियमित रूप से वृक्षारोपण व बागवानी करें तो पूरे शरीर के साथ मन भी अच्छा होगा एवं आपके द्वारा सकारात्मकताओं का सृजन होगा।
यथासम्भव इनका भी पालन करेंः-
1. सम्भव हो तो खाकर एकदम से सो मत जायें, थोड़ा चले-फिरें।
2. अधिक तले-भुने व ऑयली खाना कम ही खायें।
3. वैसे तो ‘Ready To Eat’,‘Read To Cook ’,मैगी-नूडल्स, चाऊमीन, सड़क-किनारे की बासी पानी-पुड़ी सहित संदिग्ध कुल्फ़ी व डिब्बाबंद खाद्यों से दूर रहने का प्रयास करें, यदि कभी अति आवश्यक हो जाये तो लेबल पर चेक कर लें कि वह प्रिज़र्वेटिव है या नहीं. यदि बिस्किट-नमकीन ही उपलब्ध हो पा रहे हों तो जीरा-अजवायन-लौंग इत्यादि पाचक पदार्थों से भरे ख़रीदें।
4. मिक्स्ड वेज खाने में बढ़ायें, विशेष रूप से भाजी-फली के मिश्रण को, जैसे कि मेथी-मूँग व मेथी-मटर की सब्जी।
5. भोजन में रेशेदार खाद्य-पदार्थों का समावेश बढ़ायें, जैसे कि मूली व चने की भाजियाँ, सलाद इत्यादि।
इस सम्पूर्ण आर्टिकल में जितनी सावधानियाँ बरतने को कही गयी हैं एवं जितने हल प्रस्तुत किये गये हैं वे यदि ईमानदारी से बरते जायें तो कोष्ठबद्धता(कब्ज़), पेटदर्द इत्यादि अन्य पाचन इत्यादि सम्बन्धी समस्याओं से बचाव व समाधान सम्भव है।
गैस को समस्या बनने से रोकने व अन्य पाचन-सम्बन्धी समस्याओं से उबरने में नीचे बताये गये घरेलु उपाय सहायक हो सकते हैंः-
1. भोजन में शामिल करे :
भोजन में पपीता, धनिया, अजवायन, पुदीना, इलायची, जीरा-जल, हींग, अदरख, नींबू-रस, हरड़, बहेड़ा, आँवला, सौंफ, दालचीनी, अलसी, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फलियाँ बढ़ायें। हो सकता है कि आरम्भ में इनका स्वाद आपको पसन्द न आये तो उबालने/रस निकालने/खिचड़ी में मिलाने/भूँजकर खाने जैसे प्रयोग किये जा सकते हैं. इनकी मात्रा को धीरे धीरे बढाने के बाद आपको इनकी आदत पड़ जायेगी.
फिर हो सकता है कि आप इनमें से लगभग हर खाद्य-सामग्री को अलग से अथवा कच्चे रूप में भी खाने लग जायें। “यह खाने में मुझे ठीक नहीं लगती” वाली मानसिकता का मुख्य कारण यह होता है कि जिस व्यक्ति के हाथ की बनी हमने वह चीज़ खायी थी उसने उसे सही तरीके अथवा उस तरीके से नहीं बनाया था जो कि पसन्द आ सके.
जैसे कि मूले की भाजी प्रेशर कुकर में उबालते समय तीव्र दुर्गंध उठने से कई लोग उसे खाने के प्रति पहले से ही अनिच्छुक हो जाते हैं किन्तु यदि उसे ठीक से बनाया जाये अथवा सरसों के साग के साथ मिलाकर बनाया जाये तो हो सकता है कि उसे आपकी पसन्दीदा सब्जियों में गिना जाने लगे।
“मुझे सब बनाना आता है“ यह पूर्वाग्रह तोड़कर ‘रसोई में प्रयोग’ करने का अभ्यास करें, हर सब्जी को एक ही तरीके से बनाने की आदत छोड़ें तथा उस प्रकार की सब्जी को ढीक ढंग से बनाने वाले व्यक्ति को घर में बुलाकर अथवा उसके घर जाकर उससे बनवाकर सीखने में लज्जा कैसी ?
2. आयुर्वेदिक चीजे जरुर ले :
घृतकुमारी (घींक्वार/एलोवेरा) के रस का सेवन कर सकते हैं तथा सीमित अवधि के लिये ईसबगोल का सेवन भी सुझाया जा सकता है किन्तु अधिक मात्रा, आवृत्ति अथवा सदा के लिये नहीं। त्रिफला (हरड़-बहेड़ा-आँवला का औषधीय मिश्रण) का सेवन भी कभी-कभी किया जा सकता है परन्तु इसे आदत न बनायें, अन्यथा लाभ के साथ-साथ कुछ हानियाँ भी होने लगेंगी.
यह भी हो सकता है कि सबसे पहले तो इनका लाभकारी असर पड़ना ही बन्द हो जाये अथवा आपको इनकी भी लत लगने जैसी स्थिति हो जाये कि आपको लगने लगे कि इनके बिना पेट ठीक नहीं रहता।
3. लम्बी साँसें लें :
लम्बी साँसे लेना आपके पेट के लिए बहुत लाभदायक होता है. ऐसा करने से आपकी गैस व पेट-रोगों की समस्या कम होने लगती है. लम्बी सासे लेना आपके पेट को तो सही करता ही है साथ ही साथ यह आपको अन्य शारीरिक व मानसिक परेशानियों से भी राहत देता है.
4. सेंधा नामक ले :
भोजन में टेबल-साल्ट (आजकल शहरों व अधिकांश गाँवों में रसोई में खाया जाने वाला मुख्य नमक) के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग करें जिससे नमक से उपजने वाली कई पेट की समस्याओं से बचाव सम्भव है तथा सेंधा नमक में कई नैसर्गिक खनिज लवण होते हैं जो व्यक्ति के पाचन-तन्त्र सहित पूरे शरीर के लिये उपयोगी होते हैं.
खारापन लाने के नाम पर बात-बात पर हर खाने में Table Salt मिलाने से बचें, इसकी जगह पर आप काले नमक अथवा पंचलवण का प्रयोग कर सकते हैं जो कि कम हानिप्रद व तुलनात्मक रूप से कुछ लाभप्रद स्थिति होगी एवं काले नमक को तो गैस की समस्या से राहत में आज़माया भी जाता रहा है।
गैस की अंग्रेजी दवा का नाम –
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दोस्तों आपको ऊपर बताये गये टिप्स से अगर लाभ नहीं होता है या आपकी समस्या यदि अधिक गम्भीर अथवा पुरानी हो व उपरोक्त उपचारों से भी ठीक न तो फ़ार्मासिस्ट से पूछकर दुकान से दवा ख़रीदने का प्रयास न करें, ढंग के चिकित्सक से मिलें, केवल पेट-आँत रोग विषेशज्ञ से, खर्राटे लेने अथवा मुख खोलकर सोने की समस्या हो तो इसका भी इलाज करायें।
All The Best For Your Effort
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Tinku Sharma says
behtreen post share kiya hai aapne surender bhai…aapki website par kaafi valuable jaankari uplabdh hai..Thanks.