एक चरवाहा ! चरवाहे का जीवन बखान करती हिंदी कविता A Shepherd ! Hindi Poetry Explaining The Life Of Cowboy By Raj Kumar
क्या अपने गाँव जाते समय देखा हैं,
उस वीरान परती जमीन पे
कोई चरवाहा चरा रहा था अपनी गायें,
वह अपनी लाठी कभी अपने
कंधे रखता तो कभी हवा में.
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आती जाती हवा उससे अठखेलियां खेलती,
उड़ती तितलियाँ उसके माथे से गुजर जाती.
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देखा है कभी कैसे अनबोलता पशु मानते उसकी आज्ञा,
जब कहता मुड़ने को, मुड़ जाते
जब #हेहव ! कहता तो रुक जाते.
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चरवाहा जैसे पशु चरा कर प्रफुल्लित होता,
उसके आनंद की नहीं है कोई सीमा.
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जब सुरज की किरणें आती है
गायों को लेकर निकल जाता हैं
शाम होने पर उसकी गायें खुद चल पड़ती हैं घर की ओर.
– Raj kumar Yadav
Hindi Poem “एक चरवाहा ! चरवाहे का जीवन बखान करती हिंदी कविता !” यह कविता हमें भेजी है राज कुमार यादव जी ने गोपालगंज, बिहार से. राज कुमार यादव एक स्टूडेंट है और इनकी क्लास Isc ii year है. 15 जून सन 2000 को जन्मे राज कुमार गोपालगंज, बिहार में रहते है. राज कुमार जी को लिखने का बहुत शौक है.
Raj kumar Yadav
Blog: www.rozaana.wordpress.com
Email : rajkumaryadav.rky123@gmail.com
नयीचेतना.कॉम में ” एक चरवाहा ! चरवाहे का जीवन बखान करती हिंदी कविता – A shepherd ! Hindi poetry explaining the life of cowboy By Raj Kumar” Share करने के लिए राज कुमार जी का बहुत-बहुत धन्यवाद. हम राज कुमार जी को बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनायें देते है और उम्मीद करते है की उनकी अन्य रचनाएँ आगे भी इस ब्लॉग पर प्रकाशित होंगी.
राज कुमार यादव जी की अन्य कवितायेँ पढ़े : हिन्दी कविता संग्रह
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Surendra Mahara says
Your Welcome Raj Ji.
Raj says
Thanks, aap ne mere andar Ke kavi KO Marne NSA diya.