Two Panchatantra Stories Of Moral Education In Hindi नैतिक शिक्षा पर पंचतन्त्र की दो प्रसिद्ध कहानियाँ
Two Panchatantra Stories Of Moral Education In Hindi
Two Panchatantra Stories Of Moral Education In Hindi
पहली कहानी – ईमानदार लकडहारा (First Story Honest Woodcutter)
एक गाँव में एक गरीब लकडहारा रहता था. वह जंगल से लकड़ियाँ काट कर लाता और उन्हें बेचकर अपना गुजारा करता था. एक दिन वह नदी के किनारे पेड़ पर चढ़कर लकड़ियाँ काट रहा था. अचानक उसके हाथ से कुल्हाड़ा छूटकर नदी में गिर पड़ा.
लकडहारा सोचने लगा कि अब मैं अपना जीवन निर्वाह कैसे करूँगा ? सोचते – सोचते उसकी आँखों में आँसू आ गये. वह कुछ देर तक रोता रहा. इतने में वहां एक देवता प्रकट हुआ. उसने लकडहारे से पूछा – तुम रो क्यों रहे हो ? लकडहारे से सारी बात बताई.
देवता पानी में कूद पड़ा और सोने का कुल्हाड़ा निकाल कर बाहर लाया. उसने लकडहारे से पुछा – क्या यही तुम्हारा लकडहारा है ? लकडहारे ने कहा – नहीं श्रीमान जी, यह कुल्हाड़ा मेरा नहीं है.
देवता ने फिर पानी में डुबकी लगाई और एक चाँदी का कुल्हाड़ा निकाल लाया. परन्तु लकड़हारे ने वह भी नहीं लिया. अंत में देवता ने लोहे का कुल्हाड़ा बाहर निकाला.
इसे देखकर लकड़हारे ने कहा – श्रीमान् जी, यही मेरा कुल्हाड़ा है. देवता उसकी ईमानदारी पर बहुत खुश हुआ और उसे तीनो कुल्हाड़े दे दिए.
Moral of This Story : मनुष्य को हमेशा ईमानदार बनना चाहिए क्योंकि ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है. दोस्तों ! पंचतंत्र की यह प्रेरक कहानी हमें शिक्षा देती है कि हमें कभी भी ईमानदारी का रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए.
अंग्रेजी में एक कहावत है कि ”Honesty is The best policy”. ईमानदारी की राह पर चलने पर हमारा चरित्र तो मजबूत बनता ही है साथ में यह हमें फ़ालतू के तनाव से भी दूर करती है.
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दूसरी कहानी – दो मित्र और रीछ (Second Story- Two Friends And Badgers)
एक बार दो मित्र इकटठे व्यापार करने घर से चले. दोनों ने एक – दूसरे को वचन दिया कि वे मुसीबत के समय एक – दूसरे की सहायता करेंगे. चलते – चलते दोनों एक भयंकर जंगल में जा पहुंचे.
जंगल बहुत विशाल तथा घना था. दोनों मित्र सावधानी से जंगल में से गुजर रहे थे. एकाएक उन्हें सामने से एक रीछ आता हुआ दिखाई दिया. दोनों मित्र भयभीत हो गये. उस रीछ को पास आता देखकर एक मित्र जल्दी से पेड़ पर चढ़कर पत्तो में छिप कर बैठ गया.
दूसरे मित्र को वृक्ष पर चढ़ना नहीं आता था. वह घबरा गया, परन्तु उसने सुना था कि रीछ मरे हुए आदमी को नहीं खाता. वह झट अपना साँस रोक कर भूमि पर लेट गया.
रीछ ने पास आकर उसे सूंघा और मरा हुआ समझकर वहां से चला गया. कुछ देर बाद पहला दोस्त पेड़ से नीचे उतरा. उसने दूसरे मित्र से कहा- ” उठो दोस्त, रीछ चला गया. यह तो बताओ कि उसने तुम्हारे कान में क्या कहा था ?. भूमि पर लेटने वाले मित्र ने कहा कि रीछ केवल यही कह रहा था कि स्वार्थी मित्र पर विश्वास मत करो.
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Moral of The Story : मित्र वही है जो विपत्ति में काम आये और स्वार्थी मित्र से हमेशा दूर रहो. असली दोस्त की परीक्षा तो तभी होती है जब हम मुसीबत में होते है. सुखी समय में तो हर कोई अपना मित्र ही नजर आता है. इसलिए जीवन में कभी भी स्वार्थी लोगो के साथ दोस्ती ना करे. जिस भी इंसान को आप अपना मित्र बनाते है उसे पहले जरुर आजमा ले.
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सोहा न says
Achhi khani he met lgi mene Kai Baar pdhi mgr HR naarbachhi Lago
Dinesh neer says
लकड़हारे वाली कहानी मैंने बचपन में पढ़ी थी आज इसे पढ़कर अपने बचपन की याद आ गई।
क्या कहानी है तो बचपन से मेरे दिल में बसी हुई है।
avikachaudhary341@gmail.com says
Thank you for these stories but these are not nattik Shiksha story
mulayam yadav says
Thanks Sir
anil gaikwad says
nehru bhavan svnit collage surat
Surendra Mahara says
Aapka bahut – bahut dhanyvad.
HindIndia says
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ……. सुरेंद्र जी 🙂