महर्षि वाल्मीकि के जीवन पर निबंध ! Maharshi Valmiki Life Essay In Hindi
महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय – Maharshi Valmiki Ki Jeevani Hindi Me
महर्षि वाल्मीकि अयोध्या के समीप तमसा नदी के किनारे तपस्या करते थे. वह प्रतिदिन प्रातः स्नान के लिए नदी में जाया करते थे. एक दिन जब वह सुबह स्नान करके वापस लौट रहे थे, तो उन्होंने एक क्रौच पक्षी के जोड़े को खेलते हुए देखा.
वाल्मीकि उन्हें देखकर आनंद ले रहे थे, तभी अचानक एक शिकारी ने तीर चलाकर क्रौच पक्षी के जोड़े में से एक पक्षी को मार दिया तब दूसरा पक्षी पास के पेड़ में बैठकर अपने मरे हुए साथी को देखकर विलाप करने लगा.इस करुण दृश्य को देखकर वाल्मीकि के मुख से अपने आप एक कविता निकल गयी.
संस्कृत श्लोक-:
मा निषाद प्रतिष्ठाम त्वमगम: शाश्वती: समा: ।यात्क्रौचंमिथुनादेकं अवधी: काम मोहितं ।।
हिन्दी अनुवाद-: हे शिकारी ! तुमने काम में मोहित क्रौच पक्षी के जोड़े में से एक को मार दिया है, इसलिए तुम कभी भी प्रतिष्ठा और शांति को प्राप्त नहीं कर सकोगे.
इन्ही वाल्मीकि ने आगे चलकर विश्वप्रसिद्ध “रामायण” की रचना की. महर्षि वाल्मीकि का जन्म हजारो वर्ष पूर्व भारत में हुआ था.वह कब और कहाँ जन्मे इस बारे में कुछ भी निश्चत नहीं कहा जा सकता.
बचपन में महर्षि वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था. ईश्वरीय प्रेरणा से वह सांसारिक जीवन (मोह) को त्याग कर परमात्मा के ध्यान में लग गये.उन्होंने कठोर तपस्या की.
तपस्या में वे इतने लीन हो गए की उनके पूरे शरीर में दीमक ने अपनी वल्मीक बना लिया. इसी कारण इनका नाम वाल्मीकि पड़ा.
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तमसा नदी के किनारे अपने आश्रम में रहकर उन्होंने कई रचनाये की जिसमे प्रसिद्ध ग्रन्थ रामायण भी शामिल है. रामायण में वर्णित कथा जैसा सुन्दर,स्पष्ट और भक्ति-भावपूर्ण वर्णन दुसरे कवि के काव्य में नहीं मिलता है.वाल्मीकि को संस्कृत साहित्य का आदि कवि माना जाता है.
वाल्मीकि रामायण में सात खंड है. उन्होंने अपनी इस रचना में सिर्फ भगवान राम का ही नहीं बल्कि उस समय के समाज की दशा,सभ्यता,शासन-व्यवस्था तथा लोगो के रहन-सहन का भी वर्णन किया है. रामायण को त्रेता युग का इतिहास-ग्रन्थ भी माना जाता है.
महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में पुरुषोतम श्री राम के पुत्रो लव-कुश का जन्म हुआ था.उनकी शिक्षा-दीक्षा महर्षि वाल्मीकि की ही देख-रेख में हुई थी.उन्होंने अपने ज्ञान और शिक्षा-कौशल से लव-कुश को छोटी उम्र में ही ज्ञानी और युद्ध-कला में निपुण बना दिया था.
श्री राम के अश्वमेध यज्ञ का घोडा जब महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में पहुंचा तो लव-कुश ने उसे बाँध लिया और जब घोडा छुड़ाने के लिया अयोध्या से सेना आई तो उन्होंने लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न की सेना को पराजीत कर अपनी असीम प्रतिभा और शक्ति का परिचय दिया.
उन दोनों ने श्री राम को भी अपनी वीरता और बुद्धि से आश्चर्यचकित कर दिया. उनका यह पूरा पराक्रम महर्षि वाल्मीकि की शिक्षा का ही परिणाम था.
महर्षि वाल्मीकि कवि,शिक्षक और ज्ञानी ऋषि थे.उनके ग्रन्थ रामायण में इसकी स्पष्ट छाप दिखती है.रामायण ग्रन्थ भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व की एक बहुमूल्य कृति है.यह भारतीय साहित्य का एक श्रेष्ठ महाकाव्य है. महर्षि वाल्मीकि त्रिकालदर्शी ऋषि थे.
उनकी इस रचना, नीति, शिक्षा और दूरदर्शिता के कारण ही उन्हें आज भी बड़े आदर और सम्मान के साथ याद किया जाता है.
FAQ On Maharishi Valmiki
Q : महर्षि वाल्मीकि का वास्तविक नाम क्या था ?
Ans : महर्षि वाल्मीकि का वास्तविक नाम रत्नाकर था.
Q : महर्षि वाल्मीकि का जन्म कहाँ हुआ था ?
Ans : महर्षि वाल्मीकि का जन्म भारत में हुआ था.
Q : महर्षि वाल्मीकि के पिता का नाम क्या था ?
Ans : महर्षि वाल्मीकि के पिता का नाम प्रचेता था.
Q : महर्षि वाल्मीकि का जन्मदिवस कब मनाया जाता है ?
Ans : महर्षि वाल्मीकि का जन्मदिवस आश्विन पूर्णिमा में मनाया जाता है.
Q : महर्षि वाल्मीकि कौन सी जाति के थे ?
Ans : महर्षि वाल्मीकि का जन्म भील जाति में हुआ था. लेकिन उन्हें भील जाति का नहीं माना जाता बल्कि उन्हें ब्रम्हा जी का पुत्र कहा जाता है.
Q : महर्षि वाल्मीकि ने किसकी रचना की थी ?
Ans : रामायण.
Q : महर्षि वाल्मीकि कौन थे ?
Ans : महर्षि वाल्मीकि जी महाकाव्य रामायण के रचियता थे.
Q : वाल्मीकि जी ऋषि बनने से पहले क्या थे ?
Ans : महर्षि वाल्मीकि ऋषि बनने से पहले एक डाकू थे.
Q : वाल्मीकि जयंती कितनी तारीख की है ?
Ans : वाल्मीकि जयंती 9 अक्तूबर 2022 को है.
Q : महर्षि वाल्मीकि ने कौन से श्लोक की रचना की ?
Ans : मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः। यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्॥
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Bansidhar Kadia says
बहुत ही बढ़िया आर्टिकल