मानवता की झलक शिक्षाप्रद कहानी – A STORY ABOUT HUMINITY
हमारे जीवन में कई बार ऐसे मौके आते है जब हमें मानवता की झलक हमारे सामने ही दिख जाती है. मानवता सिर्फ यह नहीं होती की हम सब मनुष्य है तो मनुष्य का ही उपकार करे.
बल्कि मानवता तो वह है जब हम किसी भी प्राणी या जानवर के मुसीबत में होने पर उसकी सहायता कर सके और उसकी सेवा कर सके. ईश्वर ने मानवता का गुण डालकर मनुष्य को बहुत श्रेष्ठ बनाया है. आइये इस कहानी के माध्यम से इस बात को अच्छी तरह से समझते है.
एक किसान के पास बहुत पिल्ले थे तो वह कुछ पिल्लो को बेचना चाहता था. उसने घर के बाहर बिक्री का बोर्ड लगा दिया. एक दिन दस साल का बच्चा किसान के दरवाजे पर आया और बोला, ” मैं एक पिल्ला खरीदना चाहता हूँ. आप एक पिल्ला कितने रूपये में देंगे ?
किसान ने कहा, ” एक पिल्ला दौ सौ रूपये का है.
यह सुनकर वह लड़का बोला, ” मेरे पास अभी तो केवल सौ रूपये है. बाकी कीमत मैं आपको हर महीने 25 रूपये देकर चुकाऊंगा. क्या आप मुझे पिल्ला देंगे ?
किसान ने सौ रूपये लिए और पिल्लो को बुलाने के लिए सीटी बजायी. चार छोटे – छोटे पिल्ले बाहर आ गये. बच्चे ने एक पिल्ले को सहलाया. अचानक उसकी नजर पांचवे पिल्ले पर पड़ी. वह लंगडाकर चल रहा था.
मुझे वह पिल्ला चाहिए, ” बच्चे ने कहा. लेकिन वह तो तुम्हारे साथ खेल भी नहीं पायेगा. इसका तो एक पैर ख़राब है. कोई बात नहीं. मुझे वही पिल्ला पसंद है. मुझे इसी की जरुरत है,” बच्चा बोला.
तब तुम इसे ले जाओ. इसके दाम देने की आवश्यकता नहीं है – किसान बोला
नहीं यह पिल्ला भी उतना ही महत्वपूर्ण है और मैं आपको इसकी पूरी कीमत दूंगा,” बच्चा बोला.
लेकिन तुम्हे यह पिल्ला क्यों चाहिए ? जबकि इतने सारे और पिल्ले भी है- किसान बोला
ताकि उसका दर्द समझने और बांटने वाला भी कोई हो. ताकि वो दुनिया में खुद को अकेला न समझे. कहकर बच्चे ने पिल्ला उठाया और वापस चल दिया. जब वह लड़का जाने लगा तब किसान ने देखा, वह बच्चा भी एक पैर में विशेष जूता पहने था. किसान सोचने लगा की एक ‘घायल की गति घायल ही जान सकता है’.
दोस्तों ! इस कहानी में लड़के ने उस लंगड़े पिल्ले को इसलिए ख़रीदा क्योंकि वह उस पिल्ले के दुःख को जानता था. वह लड़का स्वयं भी एक पैर से लंगड़ा था. इसलिए उसने स्वस्थ और खुबसूरत पिल्ले लेने के बजाय लंगड़े हुए पिल्ले को चुना. दुःख तो हमारे जीवन का सबसे बड़ा रस है.
जिसे जीवन में दुःख नहीं मिला उसे सुख की अनुभूति भला क्या होगी. जो स्वयं दुःख का अनुभव करता है वही दूसरे के दुःख को पहचान पाता है. यही मानवता का सबसे बड़ा गुण है. हमें जब कभी भी किसी दुखी और असहाय प्राणी या जीव – जंतु की सेवा का अवसर मिले तो उसे सच्चे मन से निभाना चाहिए. तभी हम मानव कहलाने के असली हकदार होंगे.
Thanx For Reading This Motivational Article
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Manish Tiwari says
Nice Boy & Dog Story Dear