डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर सन 1888 को तमिलनाडु के तिरुतानी गांव में हुआ था. यह दिन प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस (Teacher’ s Day) के रूप में मनाया जाता है. इनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी और माता का नाम सीताम्मा था. इन्होने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से एम. ए. किया. 17 वर्ष की आयु में इनका विवाह शिवकमुअम्मा से हुआ.
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन पर निबंध
सन 1909 में मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में इन्होने शिक्षक जीवन की शुरुआत की. इसके बाद अध्यापन कार्य करते हुए ये कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, रूस में भारत के राजदूत और 10 वर्ष तक भारत के उपराष्ट्रपति और अंत में सन 1962 से 1967 तक भारत के राष्ट्रपति रहे. इस प्रकार इन्होने देश की अनेक सेवाएं की परन्तु सर्वोपरि वे एक शिक्षक के रूप में रहे.
इनके द्वारा लिखी गयी प्रमुख पुस्तके है-
* द एथिक्स ऑफ़ वेदांत (The Ethics of the Vedanta) .
* द फिलासफी ऑफ़ रवीन्द्रनाथ टैगोर (The philosophy of Rabindranath Tagore) .
* माई सर्च फॉर ट्रूथ (My Search for Truth) .
* द रेन ऑफ़ कंटम्परेरी फिलासफी (The reign of religion contemporary philosophy) .
* रिलीजन एंड सोसाइटी (Religion and Society) .
* इंडियन फिलासफी (Indian philosophy) .
* द एसेंसियल ऑफ़ सायकलॉजी (The essential of sociology).
काशी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लेने से गवर्नर ने इसे अस्पताल बना देने की धमकी दी थी. राधाकृष्णन ने दिल्ली जाकर वायसराय को प्रभावित कर समस्या हल की.
गवर्नर द्वारा आर्थिक सहायता रोकने पर उन्होंने धन जुटाकर विश्वविद्यालय चलाया. शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सन 1954 में इन्हें ”भारत रत्न” से सम्मानित किया गया.
सन 1949 में इन्हें मास्को में भारत का राजदूत चुना गया. मास्को में भारत की प्रतिष्ठा इन्ही की देन है.
सन 1955 में भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में सदन की कार्यवाही का इन्होने नया आयाम प्रस्तुत किया. सन 1962 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में सेवा की.
इन्होने मतभेदों के बीच समन्वय का रास्ता ढूढ़ने की बात सिखाई. सर्वागीण प्रगति के लिए इन्होने बताया की आज हमें अमेरिकी या रूसी तरीके की नहीं बल्कि मानववादी तरीके की जरुरत है.
सन 1967 में राष्ट्रपति पद से मुक्त होने पर देशवासियो को सुझाव दिया की हिंसापूर्ण अव्यवस्था के बिना भी परिवर्तन लाया जा सकता है.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पटुवक्ता थे. इनके व्याख्यानों से पूरी दुनिया के लोग प्रभावित थे. ये राष्ट्रपति पद से मुक्त होकर मई सन 1967 में चेन्नई (मद्रास) स्थित घर के माहौल में चले गये और अंतिम 8 वर्ष अच्छी तरह व्यतीत किये. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 17 अप्रैल सन 1975 को स्वर्गवासी हो गये.
ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी डॉ. राधाकृष्णन को हमारा शत – शत नमन.
पढ़े : डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार
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Nikhil Jain says
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के बारे में काफी महत्वपूर्ण जानकारी दी आपने सुरेंद्र जी , धन्यवाद
जमशेद आज़मी says
डॉ. सर्वपल्ली राधकृष्णन केे जन्मदिन को हम सभी शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। मेरा मानना है कि बच्चों को शिक्षक दिवस मनाने के साथ साथ राधाकृष्णन के बारे में और अधिक जानने और समझने का प्रयास करना चाहिए।