रहीम दास के अनमोल दोहे जो जीवन को बदल दे ! Rahim Das ke dohe In Hindi Meaning
सामंतवादी संस्कृति के महान कवि अबदुर्ररहीम खानखाना का जन्म सन् 1553 में लाहौर में इतिहास प्रसिद्ध व्यक्ति बैरम खाँ के घर में हुआ था. हुमायूँ ने बैरम खाँ के पुत्र का नाम रहीम रखा. रहीम बहुमुखी प्रतिभा के धनि थे.
रहीम को भारत के ऐतिहासिक पुरुषो में गिना जाता है क्योंकि रहीम कवि व विद्वान होने के साथ-साथ एक सेनापति, प्रशासक, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद और कलाप्रेमी थे. रहीम भारत के सांप्रदायिक सदभाव और एकता के पक्षधर थे.
रहीम दास के अनमोल दोहे Rahim Das ke dohe In Hindi Meaning
दोहा 1: रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय.
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय.
हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता बहुत नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना काफी कठिन होता है और अगर मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है.
दोहा 2: जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग.
चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग.
हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं, उनको बुरी संगति भी बिगाड़ नहीं पाती. जहरीले सांप चन्दन के पेड़ से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते.
दोहा 3: रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि.
जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि.
हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं कि बड़ी वस्तु को देख कर छोटी वस्तु को फेंकना नहीं चाहिए. जहां पर छोटी सी सुई काम आती है, वहां पर तलवार बेचारी क्या कर सकती है ?
दोहा 4: बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय.
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय.
हिन्दी अर्थ : मनुष्य को सोच-समझ कर व्यवहार करना चाहिए क्योंकि किसी कारणवश अगर बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एक बार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा.
दोहा 5: जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं.
गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं.
हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन नहीं घटता, क्योंकि गिरिधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती.
दोहा 6: रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार.
रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार.
हिन्दी अर्थ : यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए.
दोहा 7: खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय.
रहिमन करुए मुखन को, चाहिए यही सजाय.
हिन्दी अर्थ : खीरे का कडुवापन दूर करने के लिए उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद नमक लगा कर घिसा जाता है. रहीम कहते हैं कि कड़ुवे मुंह वाले के लिए, कटु वचन बोलने वाले के लिए यही सजा ठीक है.
दोहा 8: जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह.
धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह.
हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं कि जैसी इस देह पर पड़ती है, सहन करनी चाहिए क्योंकि इस धरती पर ही सर्दी, गर्मी और वर्षा पड़ती है अर्थात जैसे धरती शीत, धूप और वर्षा सहन करती है, उसी प्रकार हमारे शरीर को सुख-दुःख सहन करना चाहिए.
दोहा 9: रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय.
सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय.
हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए. दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं होता.
दोहा 10: दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं.
जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के माहिं.
हिन्दी अर्थ : कौआ और कोयल रंग में एक समान होते हैं. जब तक ये बोलते नहीं तब तक इनकी पहचान नहीं हो पाती है. लेकिन जब वसंत ऋतु आती है तो कोयल की मधुर आवाज़ से दोनों का अंतर स्पष्ट हो जाता है.
दोहा 11: पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन.
अब दादुर वक्ता भए, हमको पूछे कौन.
हिन्दी अर्थ : वर्षा ऋतु को देखकर कोयल और रहीम के मन ने मौन साध लिया है. अब तो मेंढक ही बोलने वाले हैं. हमारी तो कोई बात ही नहीं पूछता. इसका अभिप्राय यह है कि कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब गुणवान को चुप रह जाना पड़ता है. उनका कोई आदर नहीं करता और गुणहीन बुरे व्यक्तियों का ही बोलबाला हो जाता है.
दोहा 12: रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ.
जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ.
हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं की आंसू नयनों से बहकर मन का दुःख प्रकट कर देते हैं. सत्य ही है कि जिसे घर से निकाला जाएगा वह घर का भेद दूसरों से कह ही देगा.
दोहा 13: समय पाय फल होत है, समय पाय झरी जात.
सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछितात.
हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं कि उपयुक्त समय आने पर वृक्ष में फल लगता है. झड़ने का समय आने पर वह झड़ जाता है. सदा किसी की अवस्था एक जैसी नहीं रहती, इसलिए दुःख के समय पछताना व्यर्थ है.
दोहा 14: रहिमन विपदा हू भली, जो थोरे दिन होय.
हित अनहित या जगत में, जान परत सब कोय.
हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं कि यदि विपत्ति कुछ समय की हो तो वह भी ठीक ही है क्योंकि विपत्ति में ही सबके विषय में जाना जा सकता है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन नहीं.
दोहा 15: वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग.
बांटन वारे को लगे, ज्यों मेंहदी को रंग.
हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं कि वे लोग धन्य हैं जिनका शरीर सदा सबका उपकार करता है. जिस प्रकार मेंहदी बांटने वाले के अंग पर भी मेंहदी का रंग लग जाता है ठीक उसी प्रकार परोपकारी का शरीर भी हमेशा सुशोभित रहता है.
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Rahul Singh Tanwar says
achhi post share ki hai